2015-06-19 16:29:00

लौदातो सी' प्रभावपूर्ण और महत्वकांक्षी दस्तावेज़


वाटिकन सिटी, समाचारपत्र ‘ द गार्डियन’ के अनुसार संत पापा फ्राँसिस का विश्वपत्र ‘लौदातो सी’ संत पापा फ्राँसिस का सबसे प्रभावपूर्ण और महत्वकांक्षी दस्तावेज़ है जिसमें न केवल काथलिकों और ख्रीस्तीयों को पर विश्व के प्रत्येक जन को संबोधित किया गया है। इस प्रकार की दस्तावेज़ पिछले सौ सालों में पहली बार प्रकाशित हुआ है।  

‘लौदातो सी’ अर्थात् ‘तेरी स्तुति हो’ में परिवर्तन के लिये एक रूपरेखा तैयार की गयी है जो मानव ज़रूरत पर आधारित है। इसमें इस बात का दावा है कि मानव ज़रुरतें मुख्य रूप से लालच और स्वार्थपूर्ण नहीं हैँ।

लौदातो सी’ में संत पापा ने कहा, "हमें प्रकृति की ज़रूरत है और प्रकृति को हमारी। हमारी ज़रूरत पारस्परिक है। पर्यावरण की रक्षा और ग़रीबों की देखभाल करना एक ही नैतिक नियम के दो पहलु हैं। किसी एक का पालन नहीं करना शांति गंवाना है।"   

पर्यावरण मानव का अभिन्न अंग है। यह मानव से अलग हटकर नहीं है। इनका जो आपसी संबंध है वह अलंघनीय है। इस रिश्ते को सदा ठीक रखना है। 

संत पापा ने पूँजीवाद और उपभोक्तावाद पर जोरदार  आक्रमण किया है और कहा है कि मानव ज़रूरत और भूख का अंतर बताया है। ज़रूरत सीमित किन्तु अविनिमेय है पर भूख या लालच असीमित है जो अन्य संतुष्टियों का कारोबार करता रहती है। ऐसी भूख व्यक्ति को कदापि संतुष्ट नहीं करती है।

संत पापा कहते हैं कि ग़रीबों को उनके ज़रुरतों से वंचित रखा जाता है और समृद्ध अपनी भूख मिटाने में व्यस्त है। पर्यावरण समस्या इन्हीं दो पहलुओं को जोड़ते हैं।

संत पापा फ्राँसिस इस बात को बतलाना चाहते हैं कि केवल स्वहित की चिन्ता करने से से तबाही का अन्त नहीं होगा।

बिना नैतिक और ऐसे कल्पनाशील ढाँचे के, जो दूसरों के हितों की चिन्ता के लिये हमें नहीं जोड़तीं हैं और उनके दुःखों को अपने दुःख के समान अनुभव करने को बाध्य नहीं करती है, हमारी धरती निर्जन बन कर रह जायेगी।

इसलिये संत पापा चाहते हैं कि लोग मानव प्रकृति के बारे में अपनी समझ बदलें।यह एक बड़ा परिवर्तन है पर अब छोटे परिवर्तनों से व्यक्ति का हित नहीं होगा।

 

 

 








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