2015-06-19 16:34:00

अमेरिकी धर्माध्यक्षीय परिषद ने लौदातो सी’ का स्वागत किया


वॉशिंग्टन शुक्रवार 19 जून, 2015 (अंग्रेजी,वीआर) अमेरिकी धर्माध्यक्षीय परिषद के  अध्यक्ष केन्तुकी के महाधर्माध्यक्ष  जोसेफ इ. कुर्तज ने संत पापा फ्राँसिस के नये विश्वपत्र  लौदातो सी’ अर्थात् तेरी स्तुति हो का स्वागत किया है।

विदित हो 18 जून बृहस्पतिवार वाटिकन सिटी में पर्यावरण पर संत पापा फ्राँसिस के नये विश्वपत्र लौदाती सी’ को प्रस्तुत किया गया।

महाधर्माध्यक्ष जोसेफ ने विश्वपत्र पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिकी धर्माध्यक्षीय समिति इस नये विश्वपत्र का स्वागत करती है। संत पापा ने इसमे पर्यावरण की चर्चा करते हुए ईश्वर मानव और ईश्वरीय वरदानों के रिश्तों के बारे में चर्चा करते हैं।

पूर्व के संत पापाओं की शिक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए संत पापा ने प्रकृति की रक्षा का आह्वान करते हुआ एक-दूसरे की, विशेष करके ग़रीबों की चिन्ता करने का आह्वान किया।

आपसी निर्भरता का संबंध एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना से आरंभ होता है और सब वस्तुओं और जीवों तक फैल जाता है जिनसे हमारी दुनिया बनती है।

महाधर्माध्यक्ष ने संत पापा की बातों की चर्चा करते हुए कहा, "प्रत्येक जीव का अपना महत्व है और सारी दुनिया ईश्वरीय प्रेम का बखान करतीं हैँ।"  

संत पापा ने ‘समग्र पर्यावरण’ की बात की है और हमारा ध्यान खींचने का प्रयास किया है।

संत पापा ने कहा, " में चाहिये कि हम उस ताकत को पुनः प्राप्त करें कि पड़ोसियों और दुनिया के लिये हमारा दायित्व बराबर का है। और अच्छा तथा भला होना महत्वपूर्ण है।"  

उन्होंने कहा, कि संत पापा हमें आज इस बात के लिये आमंत्रित करते हैं कि हम मानव क्रिया, पर्यावरण की रक्षा अपने व्यक्तिगत निर्णय या सामूहिक निर्णय पर विशेष चिन्तन करें।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जो कुछ हो रहा है वह हमें इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि हम एकता, ज़िम्मेदारी और एक-दूसरे की सहानुभूतिपूर्ण मदद करें।

उनका कहना है कि यह हमारा दायित्व है कि हम जमाखोरी, व्यक्तिवाद और शोषण करनेवाली संस्कृति के लिये योगदान देने से बचें।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, " संत पापा ने लोगों से अपील की है कि वे ईमानदारीपूर्वक सामाजिक और पारिस्थितिकी पर्यावरण से वार्ता में हिस्सा लें। जब मानव पर्यावरण और प्रकृति संबंधी वातावरण बिगड़ते हैं तो इन दोनों से सबों को क्षति होती है, गरीबों को सबसे अधिक। "

संत पापा चाहते है कि वार्ता का प्रयास हो और सच्ची वार्ता के लिये बलिदान और अच्छे विश्वास की असहमति भी ज़रूरी है।

महाधर्माध्यक्ष ने आशा व्यक्त की है कि हम संत पापा को इस सवाल का उत्तर खोजने में मदद दें कि हम सामुदायिक निवास जिसे ईश्वर ने हमें सौंप दिया है किस तरह से रक्षा करें ?  

 

 

 

 

 








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