2015-06-17 16:48:00

प्रियजन की मृत्यु


वाटिकन सिटी, बुधवार   17 जून,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

 

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ‘परिवार की बुलाहट और मिशन’ विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।

 

आज हम एक ऐसे दुःखद विषय पर चिन्तन करें जिसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को बिना अपवाद के अपने परिवार में करना पड़ता है। यह है परिवार में प्रियजन की मृत्यु।

येसु के दिल में उनके लिये सहानुभूति थी जो शोक मनाते थे। आज के सुसमाचार हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि जब किसी परिवार में किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है तो पूरा परिवार दुःखी हो जाता है। माता –पिता के लिये तो यह समय और ही अधिक दुःखद होता है जब वे अपने प्यारे बच्चे को खो देते हैं.

येसु ने नाईम की विधवा का साथ दिया था और आज हमें भी आश्वस्त करते हैं कि हमारे जीवन के अंधकारतम पलों में वे हमारे साथ हैं और हमारे साथ शोक मनाते हैं।

येसु पर विश्वास के द्वारा उनके पुनरुत्थान तथा उनकी अनवरत उपस्थिति के द्वारा द्वारा हम मृत्यु जैसे दुःखद पलों का सामना कर सकते हैं।

 

प्रेरित संत पौल कहा करते थे मृत्यु अंतिम रूप से विजयी नहीं हो सकता है। आज हम इस बात तको जानें कि हम कैसे येसु के समान सहानुभूतिपूर्ण स्नेह से ऐसे परिवारों को सांत्वना दें सकें जो अपने प्रियजनों को खो देते हैं।

इसके साथ ही हमें येसु के उस प्रेम का साक्ष्य दे सकें जिसे येसु ने क्रूस और पुनरुत्थान द्वारा दिखाया। निश्चय ही प्यार बड़ा है मृत्यु से।

 

आज हम विश्वास के वरदाने के लिये येसु के प्रति कृतज्ञ बनें। अपने प्रियजनों की मृत्यु के समय इससे बड़ा और कोई उत्तर नहीं हो सकता।

 

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

 

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 

 

 

 








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