2015-06-17 16:13:00

ग़रीबों के प्रति सहानुभूति सुसमाचार का चिन्ह


वाटिकन सिटी, बुधवार, 17 जून 2015 (सीएनएस)꞉ सुसमाचार अधूरा रह जाएगा यदि उसमें से ग़रीबी हटा दी जाएगी तथा पुरोहित जो गरीबों की मदद करता है उसपर कम्युनिस्ट की मुहर लगाना उचित नहीं है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

मंगलवार 16 जून को प्रवचन में गरीबों को दान देने हेतु प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने कहा, ″लोग बहुधा यह कहते हुए सुने जाते हैं कि फलां पुरोहित, धर्माध्यक्ष, ख्रीस्तीय धर्मानुयायी अथवा धर्म बहन ग़रीबी पर बहुत अधिक बोलते हैं।″ संत पापा ने कहा कि हमारे मन में इस तरह के विचार आ सकते हैं किन्तु निर्धनता सुसमाचार के केंद्र में है और यदि हम सुसमाचार से निर्धनता को हटा दें तो लोग येसु के संदेश को समझ नहीं पायेंगे।

एक वास्तविक ख्रीस्तीय होने का अर्थ है मनोभाव, विश्वास, वचन, विवेक तथा उत्साह में धनी होना, यही शिक्षा येसु ने लोगों को दी है।

उन्होंने कहा, ″यह निश्चित रूप से जान ले कि हमारा बड़ा खजाना हृदय में संचित होता है जिसका प्रभाव हमारे बटुए पर पड़ता है क्योंकि यदि हमारा विश्वास बटुआ तक नहीं पहुँच पाता है तो वह अधूरा ही है।″

संत पापा ने गरीबी के ईश्वरीय दृष्टिकोण को समझाते हुए कहा कि येसु ने ईश्वर होने के कारण सब कुछ से सम्पन्न होने के बावजूद मानव जाति को बचाने के लिए अपने आपको गरीब बनाया। अपने को छोटा बनाकर हमारे लिए अपना बलिदान दिया।

आशीर्वचन में धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, का अर्थ है अपने आपको इतना विनम्र बनाना ताकि ख्रीस्त की निर्धनता द्वारा अपने को धनी बना सकें तथा उन चीजों का बहिष्कार कर सकें जो ख्रीस्त से नहीं आते है।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी उदारता के सामान्य अभ्यास से बढ़कर ‘ख्रीस्तीय निर्धनता’ का अभ्यास करते हैं जिसके तहत वे उन चीजों को भी जरूरतमंद लोगों को देने में उदारता दिखलाते हैं जिनकी आवश्यकता उन्हें भी उतनी ही होती है। वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उस बड़े त्याग द्वारा वे आध्यात्मिक रूप से धनी बनते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु ने हमें धनी बनाने के लिए जो सबसे बड़ा दान दिया वह है आत्म बलिदान। पवित्र युखरिस्त संस्कार में उन्होंने रोटी के रूप में हमें अपने को दे दिया।

 








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