2015-06-16 15:05:00

ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए हृदय द्वार खुला रखें


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 16 जून 2015 (वीआर अंग्रेजी)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 15 जून को युखरिस्त बलिदान अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को चाहिए कि वे सांसारिकता की आवाज तथा वासना से अपने को स्वतंत्र करना सीखें जिससे कि वे अपने हृदय में ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकें।

कोरिंथियों के नाम लिखे संत पौलुस के दूसरे पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमें मुफ्त में अपनी कृपा प्रदान करते हैं जिसे ग्रहण करने के लिए हमें हर समय तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ″हमें अपने हृदय को तैयार रखना चाहिए जिसे कि हम ईश्वर की कृपा को व्यर्थ में ग्रहण न करें। अपने ग़ैरख्रीस्तीय व्यवहार के कारण कलंक की अपेक्षा उनके वचन को ग्रहण करने के लिए सदैव चौकस रहें।″ संत पापा ने कहा कि बहुधा सुनने में आता है कि ख्रीस्तीय रविवार के दिन गिरजा जाते हैं किन्तु ग़ैर ख्रीस्तीयों की तरह व्यवहार करते हैं, वे अन्यों के लिए बेइज्जत का कारण बनते हैं।

हम किस तरह ईश वचन का स्वागत अपने हृदय में कर सकते हैं? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि हम ईश वचन का स्वागत तभी कर सकते हैं जब ″सांसारिकता तथा वासना की आवाज जो ईश्वर से नहीं आतीं उनसे मुक्त हों एवं उन सभी बातों से दूर रहें जो हमारे मन की शांति को भंग कर देते हैं।

संत पापा ने वासना से मुक्त होने का उपाय बतलाते हुए कहा कि इसके लिए हमें एक विनम्र हृदय की आवश्यकता है जो सभी प्रकार के अलगाव और संघर्ष को अस्वीकार करता है। संत पापा ने इसे दुनियादारी तथा शैतान की आवाज कहा, उन्होंने कहा कि यदि हम बिना किसी कलंक अथवा शिकायत के अपने विश्वास का साक्ष्य देना चाहते हैं तो हमारे हृदय को शांत रहने की आवश्यकता है। संत पापा ने ईश्वर के लिए सदैव तैयार रहने का उपाय बतलाते हुए कहा कि ″हमें धीरज, कष्टों, कठिनाइयों, बाधाओं, मार, कैद, दंगे, परिश्रम, जागरण तथा उपवास″ द्वारा तैयार रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विनम्रता, दयालुता तथा धीरज उन लोगों के सदगुण हैं जो ईश्वर पर आस लगाये रहते हैं तथा ईश्वर के लिए अपना हृदय द्वार खोलते हैं।

 








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