वाटिकन सिटी, सोमवार 15 जून, 2015 (सेदोक,वीआर) संत पापा ने चेक गणराज्य क समाज सुधारक जान हुस की मृत्यु की 6 सौ वर्षीय जुबिली के अवसर आयोजित तीर्थयात्रा के तहत् रोम आये प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
कार्डिनल मिलोस्लाब और वाल्टर कास्पर सहित प्रतिनिधिमंडल में उपस्थित अन्य सदस्यों को संत पापा ने कहा, " यह एक ऐसा अवसर है जब हम विभिन्न समुदायों की एकता को मजबूत और सुदृढ़ करें। प्रभु येसु ने अपनी मृत्यु के पूर्व पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना की थी ‘सब एक हो जायें’। "
संत पापा ने कहा, " आज हमारा दायित्व है कि हम आपसी समझदारी और सक्रिय सहयोग को बढ़ायें। इतिहास की कई समस्याओं को हम, आज के संदर्भ में देखें तो हम आलोकित हो जायेंगे और कई समस्याओं का समाधान तथा कई बातों में एकता स्थापित होगी।"
उन्होंने कहा, " हम इस बात को कदापि नहीं भूल सकते हैं कि हमें एक पिता परमेश्वार, पुत्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा का बपतिस्मा प्राप्त हुआ है जिसके कारण ह्म एकता और भ्रातृत्व के एकसूत्र में बँधे हुए हैं।"
संत पापा ने कहा, " छः शताबदी बीत गये हैं जब जान हुए नामक उपदेशक और पराग्वे युनिवर्सिटी का रेक्टर का दर्दनाक अंत हुआ। सन् 1999 में संत जोन पौल द्वितीय ने एक अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला में उनके बारे में चर्चा करते हुए खेद व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था, "हम जान हुस की क्रूरतम मृत्यु पर खेद व्यक्त करते हैं। वे कलीसिया के सुधारकों की अग्रिम पंक्ति में रखे जाते हैं उन्होंने वार्ता के लिये कार्य किया।"
संत पापा ने कहा कि कलीसिया में जान हुस के बारे में कई तरह की बातें हुईं पर आज ज़रूरी है कि उन पर खोज की जाये ताकि यह वार्ता करने वालों का एक आधार बन जाये, न सिर्फ़ ख्रीस्तीयों के लिये पर पूरी मानव जाति के लिये।
संत पापा ने कहा, "प्रभ येसु के उस आह्वान का कि हम लगातार ‘मनफिराव करें’ पर चिन्तन करते हुए हम मेल-मिलाप और शांति के लिये कार्य करें। इस मार्ग पर चलते हुए हम ईश्वरीय कृपा से एक-दूसरे में ईश्वर को पहचानें और दूसरों के लक्ष्य को भी इसी तरह पहचान कर लें। "
उन्होंने कहा, " ईश्वर हमें कृपा दे कि हम पापियों की पहचान करें और इस बात को भी जानें कि किस तरह से उन्हें क्षमा करें।"
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