2015-06-13 17:23:00

संत पापा ने पुरोहितों की आध्यात्मिक साधना में चिंतन प्रस्तुत किया


रोम, शनिवार, 13 जून 2015 (वीआर अंग्रेजी)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 12 जून को रोम स्थित लातेरन महागिरजाघर में चल रही पुरोहितों की अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक साधना में भाग ले रहे पुरोहितों को दो घंटे का चिंतन प्रस्तुत किया। 

 अंतरराष्ट्रीय काथलिक करिश्माई नवीनीकरण सेवा तथा काथलिक फ्राटरनिटी के तत्वावधान में आयोजित आध्यात्मिक साधना की विषय वस्तु है, ″नवीन सुसमाचार प्रचार हेतु पवित्रता का  आह्वान।″ 

संत पापा ने चिंतन में कलीसिया की एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यदि एक पुरोहित को अपने धर्माध्यक्ष के साथ कोई समस्या हो जाये तो उसे सीधे तौर पर एक व्यक्ति की तरह उनसे बात करके सुलझाना चाहिए न कि दूसरों के साथ बहस का विषय बनाना।

उन्होंने कहा, ″कलीसिया में झगड़े और विवाद होते हैं और यह समाचार बन जाता है, संत पापा ने कहा कि यही शुरूआत है। उन्होंने कहा कि विवाद रहित कलीसिया मृतप्राय है। उन्होंने प्रश्न किया, क्या आप कोई जगह जानते हैं जहाँ झगड़े बिलकुल नहीं होते। वह स्थान मात्र श्मशान हो सकता है।″

संत पापा ने कलीसिया में महिलाओं के योगदान पर प्रकाश डालते हुए याद किया कि पेंतेकोस्त के दिन जब प्रेरितों पर पवित्र आत्मा उतरा तो कुछ महिलाएं भी वहाँ उपस्थित थीं। उन्होंने महिलाओं की प्रतिभा को कलीसिया के लिए वरदान कहा।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया को भी एक नारी के रूप में दर्शाया जाता है वह ख्रीस्त की दुल्हिन एवं ईश्वर के प्रति विश्वस्त धर्मी जनों की माता है। संत पापा ने कहा, ″मैं सभी नारियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ जब आप को किसी नारीवादी शिकायत का सामना करना पड़ता है तो आप याद करें कि माता मरिया प्रेरितों से अधिक महत्वपूर्ण है।″

संत पापा ने पुरोहितों को सलाह दी कि वे पवित्र संस्कार की भेंट करने से न थकें जहाँ उन्हें स्नेह प्राप्त होगा ऐसे समय में भी जब उन्हें मालूम न हो कि क्या प्रार्थना करना है। संत पापा ने कहा कि वे अपना रविवारीय प्रवचन मंगलवार से ही तैयार करना शुरू करें।  

उन्होंने पुरोहितों को विश्वासियों के प्रति दयालु बनने को कहा। उन्होंने याद दिलाया कि किसी नवजात शिशु को बप्तिस्मा संस्कार देने से एक पुरोहित इन्कार नहीं कर सकता चाहे वह नाजायज़ संबंधों से पैदा हो अथवा उनके माता-पिता ने तलाक दे दिया हो या गैरकानूनी रूप से दूसरी शादी कर ली हो। 

संत पापा ने चिंतन में क्लैरिकलीज़्म यानी याजकीयवाद की भावना से बचकर रहने हेतु सचेत किया। कलीसिया में लोकधर्मियों द्वारा योगदान दिया जाना चाहिए किन्तु पल्ली के कार्यों में याजक वाद नहीं आना चाहिए। उन्होंने याजकवाद की भावना को दो व्यक्तियों का टैंगो नाच कहा। उन्होंने कहा कि पुरोहितों को लोकधर्मियों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। संत पापा ने अपने चिंतन के अंत में पुरोहितों के कुछ सवालों का उत्तर दिया।

ज्ञात हो कि पुरोहितों की अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक साधना रोम में 10 से 14 जून तक जारी रहेगी।

 

 








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