2015-06-11 12:36:00

प्रेरक मोतीः सन्त बरनाबस (सन् 61 ई.) (11 जून)


वाटिकन सिटी, 11 जून सन् 2015:

बरनबास के बारे में हम जो कुछ जानते हैं उसका स्रोत है नया व्यवस्थान। प्रेरित चरित ग्रन्थ बताते हैं कि योसफ बरनाबस, साईप्रस में जन्में, एक यहूदी थे जिन्होंने अपनी धन सम्पत्ति बेचकर प्रेरितों को दान कर दिया था। ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर वे ख्रीस्त के प्रथम प्रेरितों के साथ  सुसमाचार का प्रचार करते रहे थे।

बरनाबस ही तारसुस से पौल को जैरूसालेम लाये थे। बाद में दोनों ने मिलकर जैरूसालेम से सिरिया, अन्ताखिया से साईप्रस तथा इकोनियुम से लिस्त्रा तक प्रेरितिक यात्राएँ कीं तथा प्रभु येसु मसीह के सन्देश का प्रचार-प्रसार किया। परम्परा के अनुसार कहा जाता है कि बरनाबस ने एलेक्ज़ेनड्रिया के साथ साथ रोम में भी सुसमाचार का प्रचार किया। एक मिशनरी यात्रा के दौरान सालामीस में, सन् 61 ई. में, बरनाबस को पत्थरों से मार डाला गया था।

शहीद सन्त और प्रेरित बरनाबस को साईप्रस की कलीसिया के संस्थापक माना जाता है। वे, साईप्रस और अन्ताखिया की कलीसिया के संरक्षक हैं तथा ओलों एवं अन्य प्राकृतिक प्रकोपों से रक्षा हेतु बरनाबस को पुकारा जाता है। शान्ति निर्माता एवं मेल मिलाप की स्थापना हेतु भी सन्त बरनाबस से प्रार्थना की जाती है। उनका पर्व 11 जून को मनाया जाता है।

चिन्तनः मैंने प्रार्थना की और मुझे विवेक मिला। मैंने विनती की और मुझ पर प्रज्ञा का आत्मा उतरा। मैंने उसे राजदण्ड और सिंहासन से ज्यादा पसन्द किया और उसकी तुलना में धन-दौलत को कुछ नहीं समझा। मैंने उसकी तुलना अमूल्य रत्न से भी नहीं करना चाहा; क्योंकि उसके सामने पृथ्वी का समस्त सोना मुट्ठी भर बालू के सदृश है और उसके सामने चाँदी कीच ही समझी जायेगी। 

मैंने उसे स्वास्थ्य और सौन्दर्य से अधिक प्यार किया और उसे अपनी ज्योति बनाने का निश्चय किया; क्योंकि उसकी दीप्ति कभी नहीं बुझती" (प्रज्ञा ग्रन्थ 7: 7-10)। 








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