2015-06-08 14:20:00

ग़रीब व्यक्ति ही हाथ पसारता है, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 8 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 7 जून को, संत पापा प्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज इटली के साथ कई देशों में ख्रीस्त के पवित्र बदन एवं रक्त का महापर्व मनाया जाता है, लातीनी अभिव्यक्ति के अनुसार कॉरपुस ख्रीस्ती का महापर्व।″

सुसमाचार पाठ पवित्र युखरिस्त की स्थापना की घटना को प्रस्तुत करता है जो येरूसालेम के उपरी कमरे में अंतिम ब्यारी के समय येसु द्वारा स्थापित की गयी थी। क्रूस पर मुक्तिदायी मृत्यु की पूर्व संध्या उन्होंने अपने वचन को साक्षात् रूप में पूरा किया जिसको उन्होंने लोगों को उपदेश देते समय कहा था। ″स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।''  यहूदी आपस में यह कहते हुए वाद-विवाद कर रहे थे, ‘‘यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है?''  इसलिए ईसा ने उन से कहा, ‘‘मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है और मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा;  क्योंकि मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में।″ (यो.6꞉51-56) ″उनके भोजन करते समय ईसा ने रोटी ले ली, और आशिष की प्रार्थना पढ़ने के बाद उसे तोड़ा और यह कहते हुए शिष्यों को दिया, ''ले लो, यह मेरा शरीर है''।(मार.14꞉22) इन चिन्हों एवं शब्दों के साथ येसु ने रोटी अर्पित की जो मात्र हमारे शरीर की साधारण भूख नहीं मिटाती किन्तु हमें विश्वासियों के समुदाय में शामिल कर देती है।

अंतिम ब्यारी ख्रीस्त के जीवन की पराकाष्ठा है न केवल उनके बलिदान का पूर्वानुमान जो क्रूस पर पूर्ण होने वाली थी किन्तु समस्त मानव जाति के लिए अर्पित जीवन का संश्लेषण। अतः यह कहना पर्याप्त नहीं है कि युखरिस्त येसु है किन्तु हमें उस जीवन की उपस्थिति का एहसास करना है जो अर्पित किया गया तथा उसमें भाग लेना है। जब जब हम रोटी लेते एवं खाते हैं तब तब हम येसु के जीवन से सहभागी बनते हैं, हम उनके साथ संयुक्त हो जाते हैं तथा एक-दूसरे के साथ एकता में बढ़ते हैं, हमारा जीवन एक वरदान बन जाता है, विशेषकर ग़रीबों के लिए।

संत पापा ने कहा कि आज के त्यौहार का संदेश हमें सद्भावना का आह्वान दे रहा है तथा मन परिवर्तन, सेवा, प्रेम तथा क्षमा करने हेतु प्रोत्साहित कर रहा है। इस प्रकार, यह हमें उस धर्म विधि का जिसको हम मनाते हैं, एक आजीवन अनुगामी बना देता है। ख्रीस्त हमें अपने शरीर एवं रक्त में परिवर्तित रोटी और दाखरस के माध्यम से पोषित करते हैं यह हमारे जीवन में आने वाली दैनिक घटनाओं के समान है। ग़रीब व्यक्ति ही हाथ पसारता है, दुःखी व्यक्ति ही मदद की गुहार लगाता है, भाई ही हमारी उदारता एवं हम से स्वीकारे जाने की आशा करता है। एक बच्चा ही येसु की मुक्ति के बारे कुछ भी नहीं जानता और उस पर विश्वास नहीं करता क्योंकि येसु सभी मनुष्यों में उपस्थित हैं सबसे छोटे एवं असुरक्षित व्यक्ति में भी।

संत पापा ने कहा कि युखरिस्त कलीसिया के जीवन के लिए प्रेम का स्रोत है उदारता एवं समन्वय का स्कूल। जो लोग ख्रीस्त की रोटी खाते हैं वे उन लोगों के सम्मुख उदासीन नहीं हो सकते जिनके पास खाने के लिए दैनिक आहार नहीं है किन्तु अंतरराष्ट्रीय समुदाय एवं कई संस्थाओं के प्रयासों के बावजूद आज ये समस्या बढ़ रही है। अतः उन समस्याओं को पहचाना एवं उसके समाधान हेतु खास योजनाएं बनायी जानी चाहिए।

कॉरपुस ख्रीस्ती का महापर्व सभी के लिए भोजन मिलने की इच्छा एवं उस समाज के प्रति समर्पण हेतु प्रेरित कर रहा है जो इसका समर्थन करता है। 

संत पापा ने माता मरिया से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा कि हम अपनी इन भावनाओं को युखरिस्त की माता मरियम के चरणों में सिपुर्द करें। उनकी मध्यस्थता द्वारा हममें युखरिस्त में सहभागी होने का पूर्ण आनन्द जागृत हो विशेषकर, रविवार के दिन। साथ ही हम ख्रीस्त के असीम प्रेम का आनन्द पूर्ण साक्ष्य दे सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। संत पापा ने अपनी प्रेरितिक यात्रा का अनुभव बांटते हुए कहा, ″शांति और आशा के तीर्थयात्री के रूप में कल मैं सारायेवो, बोस्निया और हेर्जेगोविना गया हुआ था। सारायेवो एक प्रतीकात्मक शहर है। कई सदियों से विभिन्न जातियों एवं धर्मानुयायियों का एक साथ निवास करने के कारण ‘पश्चिम का येरूसालेम’ पुकारा जाता है। विगत कुछ वर्षों में युद्ध के कारण यह विनाश का प्रतीक बन गया था। इन दिनों मेल-मिलाप की सुन्दर प्रक्रिया जारी है और यही कारण था कि शांति के मार्ग में आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहन देने के लिए मैं वहाँ गया हुआ था।

संत पापा ने अपनी प्रेरितिक यात्रा में सारायेवो के लोगों द्वारा भव्य स्वागत किये जाने पर कृतज्ञता व्यक्त की और कहा, ″मैं सभी अधिकारियों एवं देशवासियों को उनके भव्य स्वागत के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ विशेषकर, वहाँ के ख्रीस्तीय समुदाय के प्रति जिनके लिए मैं विश्वव्यापी कलीसिया का प्यार बांटना चाहता था। संत पापा ने सारायेवो, बोस्निया एवं हेर्जेगोविना के ऑथोडोक्स, मुस्लिम, यहूदी धर्मानुयायियों तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों को धन्यवाद दिया तथा समुदाय के प्रति उनके सहयोग की सराहना की। उन्होंने समाज के आध्यात्मिक एवं नैतिक पुनः निर्माण के कार्य को जारी रखने का आग्रह किया। संत पापा ने वहाँ के सभी लोगों पर ईश्वर के आशीष की कामना की।

संत पापा ने जानकारी देते हुए कहा कि अगले शुक्रवार को पवित्रतम हृदय का महापर्व है। उन्होंने कहा कि हम येसु को प्यार करते हैं। उन्होंने विश्व बाल श्रमिक दिवस की जानकारी देते हुए कहा कि यह अगले शुक्रवार को होगा। विश्व के बहुत सारे बच्चों को खेलने और स्कूल जाने की स्वतंत्रता नहीं है तथा उन्हें सस्ते मजदूर के रूप में शोषण का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपना अनुरोध दुहराते हुए कहा कि बच्चों के अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 








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