2015-06-03 12:00:00

शिक्षक सत्य एवं जनकल्याण के विश्वसनीय साक्षी बनें


पेरिस, बुधवार, 3 जून 2015 (सेदोक): वाटिकन की शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल ज़ेनॉन ग्रोखोलेव्स्की ने कहा है कि शिक्षकों को सत्य एवं जन कल्याण के विश्वसनीय साक्षी होना चाहिये।

कार्डिनल ग्रोखोलेव्स्की, बुधवार को, पेरिस में उक्त परमधर्मपीठीय परिषद तथा यूनेस्को में परमधर्मपीठ के मिशन द्वारा "आज और कल शिक्षा प्रदान करना" शीर्षक के अन्तर्गत, संयुक्त रूप से आयोजित, दो दिवसीय मंच के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे।

कार्डिनल महोदय ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका लक्ष्य मानव का सर्वांगीण विकास होना चाहिये। उन्होंने कहा, "शिक्षा, प्राकृतिक एवं पारलौकिक आयामों में, मानव व्यक्ति के अखण्ड विकास एवं प्रशिक्षण की प्रक्रिया है ताकि उसे समाज और जन कल्याण की सेवा में ज़िम्मेदारी के साथ प्रस्तावित किया जा सके।"

उन्होंने कहा कि आज शिक्षा के समक्ष प्रस्तुत महान चुनौती यह है कि वह स्वस्थ नैतिक आचार -व्यवहार वाले ठोस व्यक्तियों का निर्माण करे जो अन्यों के साथ सहयोग एवं समन्वय के लिये सदैव तत्पर रहें तथा अपने जीवन को अर्थ प्रदान करने में सक्षम बनें।

उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि शिक्षा ठोस मानवीय एवं ख्रीस्तीय मूल्यों पर निर्मित भविष्य में प्रवेश की कुँजी है इसलिये शिक्षकों को उन घटकों का पता लगाना होगा जिनके कारण आज मानव व्यक्ति एवं जीवन के मूल्यों में ह्रास आया है।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिये शिक्षा जगत को प्रशिक्षित शिक्षकों की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिये मात्र अपने विषय में डिगरियाँ हासिल कर लेना पर्याप्त नहीं होगा और न ही प्रभावशाली तकनीकियाँ एवं विधियाँ पर्याप्त होंगी अपितु इसके लिये यह अनिवार्य है कि शिक्षक स्वयं अपने जीवन आचरण द्वारा सत्य एवं जनहित के साक्षी बनें।








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