2015-06-03 14:31:00

परिवार पर पड़ने वाली जोखिम


वाटिकन सिटी, बुधवार, 3 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ″ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, परिवार विषय पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए जीवन की परिस्थितियों में आने वाली परीक्षाओं के कारण परिवार पर पड़ने वाली जोखिमों पर हम चिंतन करें।

उन्होंने कहा, ″उन परीक्षाओं में से एक है ग़रीबी। हम उन परिवारों की याद करें जो महानगरों की झुग्गियों तथा देहातों में जीवन यापन करते हैं। उनका जीवन दरिद्र अवस्था के कारण कितना दुर्भाग्य पूर्ण है। यह परिस्थिति और भी दयनीय हो जाती है जब युद्ध आ जाता है। युद्ध हमेशा भयावह है। यह परिवारों पर खास प्रभाव डालता है। निःसंदेह युद्ध सभी प्रकार की ग़रीबी की माता है, जीवन और आत्मा का बड़ा शिकारी है जो सबसे पवित्र और सबसे प्रिय वस्तु पर भी अपना प्रभाव डालने से नहीं चूकता।″

संत पापा ने उन परिवारों की याद की जो ग़रीबी के बावजूद सम्मानजनक जीवन जीने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि वे उदारतापूर्वक ईश्वर के आशीर्वाद पर भरोसा रखते हैं। संत पापा ने कहा कि इस कारण हमारी उदासीनता को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता बल्कि यह हमारी शर्मिंदगी को बढ़ा देता है। यह एक चमत्कार से कम नहीं है कि ग़रीबी की स्थिति में भी यह परिवार अपने मानव रिश्तों को बरकरार रखते हैं। यह बात उन लोगों को अधिक परेशान कर सकती है जो जीवन की गुणवत्ता में पारिवारिक रिश्तों को महत्व नहीं देते। वास्तव में, हमें ऐसे परिवारों का सम्मान करना चाहिए जो मानवता के सच्चे स्कूल के रुप में परिवार को असभ्यता की चपेट में आने से बचाते हैं।

संत पापा ने कहा कि एक नयी नागरिक नैतिकता तभी आ सकती है जब गहरी खाई में ले जाने वाले विनाशकारी परिवार के झगड़े और ग़रीबी से, लोगों के जीवन में रिश्तों की अहमियत को सही पहचान मिले। अर्थव्यवस्था आज बहुधा व्यक्तिगत मौज मस्ती एवं लाभ का साधन समझा जा रहा है तथा पारिवारिक रिश्तों का शोषण किया जा रहा है। परिवार में किया गया काम वित्तीय विवरण की सूची में नहीं रखा जाता है। भले ही अर्थव्यवस्था एवं राजनीति ऐसे मामलों को ध्यान नहीं देती किन्तु व्यक्ति का आंतरिक जीवन एवं सामाजिक परिस्थितियाँ इसके द्वारा अवश्य प्रभावित होती हैं। यह मात्र रोटी का मामला नहीं है। हम नौकरी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बात करते हैं और इसे समझना भी महत्वपूर्ण है। जब हम विश्व के कई हिस्सों में भूखे बच्चों एवं बीमार लोगों की तस्वीर देखते हैं तो हमेशा प्रभावित होते हैं किन्तु कई ऐसे लोग हैं जिन्हें न केवल रोटी किन्तु प्यार की भी आवश्यकता है।

संत पापा ने सभी ख्रीस्तीयों से अपील करते हुए कहा कि एक ख्रीस्तीय के रूप में हमें उन परिवारों के करीब होना चाहिए जो परीक्षाओं से होकर गुजर रहे हैं। सामाजिक परेशानियाँ परिवारों को प्रभावित करती हैं तथा कई बार उन्हें नष्ट भी कर देते हैं। बेरोजगारी एवं अनिश्चितता परिवारों को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं तथा रिश्तों के बीच तनाव उत्पन्न करती हैं। पड़ोसियों से वंचित रहने की परिस्थिति, मकान की समस्या, यातायात, समाज सेवा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा का अभाव पारिवारिक जीवन को और भी कठिन बना देता है। संचार माध्यमों में उपभोक्तावाद का प्रचार एवं दिखावे की रीति गरीबों को प्रभावित करती है तथा इसके द्वारा संबंधों में दरार उत्पन्न होती है।

कलीसिया माता है और इसलिए कलीसियाई कार्यकर्त्ताओं को बच्चों की दुखद परिस्थिति को नहीं भूलना चाहिए। फलप्रद बनने एवं इन कठिनाईयों का प्रत्युत्तर देने के लिए इसे भी विनम्र होने की जरूरत है। एक गरीब कलीसिया ऐसी कलीसिया है जो अपने जीवन में सादगी को स्थान देती है, अपनी संस्थाओं एवं अपने सदस्यों के जीवन में सादगी को अपनाती है ताकि अलग करने वाली सभी दीवारों को तोड़ सके विशेषकर गरीबी की दीवार को।

संत पापा ने परिवारों के लिए सभी से प्रार्थना का आग्रह किया।

इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत उन्होंने भारत, इंगलैंड, स्वीजरलैंड,  इंडोनेशिया, जापान, कनाडा,  अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








All the contents on this site are copyrighted ©.