2015-06-01 08:54:00

त्रिएक ईश्वर के आदर्श को जीने के मिशन को नवीकृत करें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 31 मई को संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज हम पवित्र त्रित्व का महापर्व मना रहे हैं जो हमें एक ईश्वर में तीन जन; पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रहस्य की याद दिलाता है। पवित्र त्रित्व दैवी जनों की एकता है जो एक-दूसरे के साथ, एक-दूसरे के लिए एवं एक-दूसरे में संयुक्त हैं। यही एकता ईश्वर का जीवन है, जीवंत ईश्वर के प्रेम का रहस्य। येसु ने इस रहस्य को प्रकट किया है।″

संत पापा ने एक प्रश्न रखा, ″किन्तु उन्होंने किस प्रकार उस रहस्य को प्रकट किया है?″ संत पापा ने येसु द्वारा त्रिएक ईश्वर को प्रकट करने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने ईश्वर को पिता के रूप में प्रकट किया, पवित्र आत्मा के विषय में बतलाया तथा अपने बारे कहा कि वे ईश्वर के पुत्र हैं। इस प्रकार, हम त्रिएक ईश्वर के बारे में जानते हैं। पुनरुत्थान के बाद येसु ने अपने चेलों को लोगों के बीच सुसमाचार प्रचार करने हेतु भेजते हुए कहा, ″इसलिए तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।″ (मती.28꞉19) ख्रीस्त का यह आदेश कलीसिया के सभी युगों के लिए है जिसे उन्होंने प्रेरितों द्वारा प्राप्त किया है। संत पापा ने ख्रीस्त के आदेश की याद दिलाते हुए कहा कि आप प्रत्येक से यही अपील करता हूँ क्योंकि बपतिस्मा संस्कार द्वारा हम सब इस समुदाय के अंग बन गये हैं।

संत पापा ने कहा, ″आज जब हम समारोही धर्म विधि में उस महान रहस्य पर चिंतन कर रहे हैं जिसमें हमारा उद्गम और अंत है तब हम ईश्वर एवं लोगों के साथ, त्रिएक ईश्वर के आदर्श को जीने के मिशन को नवीकृत करें। हम एक-दूसरे से बिना या उनसे अलग जीने के लिए नहीं बुलाये गये हैं किन्तु एक-दूसरे के साथ, एक-दूसरे के लिए जीने हेतु बुलाये गये हैं। इसका अर्थ है सुसमाचार की सुन्दरता को स्वीकार करना एवं उसका साक्ष्य देने के लिए तैयार होना, सभी के साथ आपसी प्रेम में जीना, आनन्द और दुःख बांटना, क्षमा मांगने एवं क्षमा देने सीखना, धर्माध्यक्षों के निर्देशन में विभिन्न वरदानों को महत्व देना। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि हमें कलीसियाई समुदाय का निर्माण करने का कार्यभार सौंपा गया है जिसमें अधिक से अधिक परिवार त्रिएक ईश्वर पर चिंतन कर सकें और न केवल अपने शब्दों से किन्तु ईश्वर की शक्ति से जो हम में निवास करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″जैसा कि मैंने कहा है कि त्रित्वमय ईश्वर पृथ्वी पर हमारी यात्रा का अंतिम लक्ष्य है। ख्रीस्तीय जीवन की यात्रा निश्चय ही त्रित्वमय यात्रा है, पवित्र आत्मा हमें ख्रीस्त की शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने में हमारा मार्गदर्शन करता है तथा येसु ने हमें जो शिक्षा दी है उसका स्मरण दिलाता है। दूसरी ओर, येसु दुनिया में आये ताकि हम पिता को जाने, उनके साथ मेल-मिलाप करें। ख्रीस्तीय जीवन का पवित्र त्रित्व के रहस्य पर केंद्रित है और उसी असीमित रहस्य में पूर्ण होता है।

संत पापा ने सभी विश्वासियों को अपने जीवन पर चिंतन करने की सलाह दी और कहा कि हमारी सृष्टि एक महिमामय जीवन के लिए हुई है। हम सब उसी महान पुरस्कार के लिए बुलाये गये हैं जिसके लिए हम कार्य करते, संघर्ष करते और दुःख उठाते हैं। यह रहस्य हमारे सम्पूर्ण जीवन और ख्रीस्तीयता को अपने में संलग्न कर लेता है उदाहरण के लिए, जब कभी हम पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर क्रूस का चिन्ह बनाते हैं। संत पापा ने सभी विश्वासियों को क्रूस का चिन्ह बनाने का आग्रह किया।

तत्पश्चात् संत पापा ने माता मरिया की याद की। उन्होंने कहा, ″मई महीना जो माता मरियम का महीना है उसके अंतिम दिन हम अपने आप को माता मरियम के चरणों में सिपुर्द कर दें।″  उन्होंने सभी अन्य सृष्ट वस्तुओं की तुलना में पवित्र तृत्व के रहस्य को अच्छी तरह समझा और प्यार किया, वे हमें हाथ पकड़कर आगे ले चलें, संसार के विभिन्न चिन्हों में ईश्वर की उपस्थिति को हम पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में हम पहचान सकें। प्रभु येसु को सारे दिल से प्यार करने एवं हमारे जीवन के सुन्दर लक्ष्य पवित्र तृत्व की ओर आगे बढ़ने में मदद दे। हम कलीसिया के लिए प्रार्थना करें कि वह एकता एवं सत्कार शीलता का समुदाय बने। जहाँ हर व्यक्ति विशेषकर, ग़रीब और हाशिये पर जीवन यापन कर रहे लोग स्वीकार किये जाने, ईश्वर के पुत्र-पुत्रिया होने एवं प्रेम किये जाने का एहसास कर सकें।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के पश्चात् उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए विशेष सूचनाएँ दी। उन्होंने कहा, ″आज फ्राँस के बेयोन्ने में सिस्टर्स सरवेंट ऑफ मेरी के संस्थापक पुरोहित लुईस एडवार्ड चेस्ताक को धन्य घोषित किया गया। उन्होंने ख्रीस्त एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम का साक्ष्य प्रस्तुत किया है एवं आनन्द तथा सुसमाचार की उदारता का कलीसिया में एक नयी प्रेरणा प्रस्तुत करता है। इसके बाद संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण करने वाले सभी बच्चों को बधाई दी तथा येसु का साक्ष्य आनन्द के साथ देने के लिए प्रोत्साहन दिया।

संत पापा ने पोलैंड के विश्वासियों के साथ माता मरियम की भक्ति में आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त की।

उन्होंने जानकारी दी कि आगामी गुरुवार को रोम में परंपरानुसार ‘कोरपुस ख्रीस्ती’ (ख्रीस्त का शरीर) शोभायात्रा का आयोजन किया गया है जिसमें संध्या 7 बजे संत जॉन लातेरन महागिरजाघर में वे युखरिस्त बलिदान अर्पित करेंगे तथा परम पावन संस्कार की आराधना करने हेतु मरिया मजोरे महागिरजाघर की ओर बढ़ेंगे। इस महान अवसर का लाभ उठाने हेतु संत पापा ने सभी विश्वासियों को निमंत्रण दिया। उन्होंने क्रूस का चिन्ह बनाते हुए अपने संदेश समाप्त किया।

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का अनुरोध करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 








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