2015-05-30 16:35:00

पूर्वी कलीसियाओं का भविष्य आशामय


बगदाद, शनिवार, 30 मई 2015 (एशियान्यूज़)꞉ ″पूर्वी कलीसियाओं का भविष्य ईराक में है एवं ईरान में भी और जब संघर्ष का अंत हो जायेगा तब यह आशा बढ़ जायेगी क्योंकि तब ‘वार्ता’ और ‘मेल मिलाप’ की यात्रा शुरू होगी जिसमें ख्रीस्तीय एवं मुस्लिम एक-दूसरे का आलिंगन करेंगे।″ यह बात ईराक के खलदेई प्राधिधर्माध्यक्ष रफाएल प्रथम मार लुईस साको ने कही।

उन्होंने एशियान्यूज़ से कहा, ″युद्ध का अंत अवश्य होता है, हमें भविष्य के लिए काम करना तथा धैर्य एवं प्रार्थना के साथ मेल-मिलाप करना जरूरी है।″ 

उन्होंने कहा कि ईराक में परिस्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है तथा लोग भविष्य की चिंता से परेशान हैं। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने देश के प्रमुख भागों पर कब्जा कर लिया है। उनके पास 50 प्रतिशत सीरियाई एवं 30 प्रतिशत ईराकी आतंकवादी हैं जो खिलाफत का हिस्सा बन गए हैं यही वजह है कि लोग चिंता और भय से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

उन्होंने बतलाया कि युद्ध के कारण विस्थापित लोगों की संख्या करीब तीस लाख से भी अधिक है जिनके पास कुछ भी नहीं है। यद्यपि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों एवं कलीसिया द्वारा उनकी मदद की जा रही है किन्तु ऐसी परिस्थिति में आगे बढ़ना मुश्किल जान पड़ता है लोगों में कड़वाहट और निराशा की भावना घर कर गयी है।

ईराक में सरकार वह सब कुछ करने का प्रयास कर रही है जो वह कर सकती है किन्तु सैन्य बल में प्रशिक्षण का अभाव, हथियारों की कमी तथा व्यापक क्षेत्रीय स्थिति देश की स्थिति को अधिक पेचीदा बना रही है।

विदित हो कि प्राधिधर्माध्यक्ष ने 12 से 24 मई तक ईराक का दौरा कर वहाँ के लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने आशा जताते हुए कहा, ″उन से मुलाकात कर मैंने अपने आप में आरम्भिक कलीसिया की तरह ताकत का अनुभव किया जो धैर्य एवं एकता द्वारा विकसित हो रहा था।″

 उन्होंने कहा कि उनकी मुलाकात ने लोगों में आध्यात्मिक बल प्रदान किया। यह उनमें आशा तथा साहस का संचार किया।

अपनी यात्रा के दौरान ईराक के खलदेई प्राधिधर्माध्यक्ष मार साको ने इस्लामी गणराज्य के सर्वोच्च नागरिक और धार्मिक अधिकारियों से मुलाकात कर 'शांति और स्थिरता' की एक ताकत के रूप में एक क्षेत्रीय संदर्भ में तेहरान की भूमिका पर जोर दिया।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.