2015-05-29 17:30:00

समय के चिन्हों को समझने के लिए एक चुनौती


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 29 मई को, वाटिकन स्थित कार्डिनलमंडल भवन में, नये सुसमाचार प्रचार को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति एवं धर्मशिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समिति के सदस्यों की आम सभा को सम्बोधित करते हुए कलीसिया के जीवन को महत्व देने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्होंने उनके कार्यों की सराहना करते हुए कहा, ″ये परिवर्तन हमें कलीसिया में प्रभु द्वारा अर्पित  समय के चिन्हों को समझने के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है क्योंकि वह सक्षम है जिसके कारण उसने दो हज़ार वर्षों तक अपने समय के लोगों के लिए ख्रीस्त को प्रदान किया है। मिशन हमेशा एक समान है किन्तु प्रेरितिक प्रज्ञा के साथ सुसमाचार प्रचार हेतु प्रयुक्त भाषा में सुधार की आवश्यकता है। हमारे समकालीनों को यह समझना आवश्यक है कि काथलिक परम्पराएं आज की संस्कृति के बारे बोल सकती हैं तथा लोगों को खुला होने में मदद कर सकती हैं ताकि वे ख्रीस्त के संदेश को सुन सकें।″  

संत पापा ने कहा कि यह समय बहुत ही चुनौती पूर्ण है किन्तु हमें उससे नहीं डरना चाहिए। हमें सिर्फ एक बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम उसका जवाब सुसमाचार के प्रकाश में दे सकें। आज कलीसिया से यही आशा की जा रही है कि हम लोगों का साथ दे तथा उनके साथ सद्भाव रखकर विश्वास का साक्ष्य दें, विशेषकर ग़रीबों के प्रति। संत पापा ने सुसमाचार का स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह येसु ख्रीस्त में ईश प्रेम का संदेश है जो हमें अपने ही जीवन के सहभागी होने के लिए बुलाता है अतः नया सुसमाचार प्रचार, हमारे प्रति पिता के करुणावान प्रेम से अवगत होना तथा अपने भाइयों की मुक्ति का माध्यम बनना है।

उन्होंने कहा कि यह चेतना प्रत्येक ख्रीस्तीय के हृदय में बप्तिस्मा के समय बोया गया है जिसे जीवन में ईश्वरीय कृपा के साथ बढ़ना तथा फल उत्पन्न करना है। धर्मशिक्षा का महत्व भी इसी में निहित है जिसके द्वारा एक ख्रीस्तीय ईश्वर की करुणा का एहसास कर परिपक्वता प्राप्त करता है। करुणा कोई अस्पष्ट भावना नहीं किन्तु एक अभ्यास है जिसमें हम अपनी शून्यता से अवगत होते तथा ऊपर से बल प्राप्त करते हैं। हमारी दयनीय परिस्थिति में येसु हमारी मुक्ति करने आये। संत पापा ने सदस्यों से कहा कि उनका कार्य उसी मुक्ति प्राप्ति में मध्यस्थ बनना है।

पवित्र आत्मा जो सुसमाचार प्रचार में हमारे मार्गदर्शक हैं, वही विश्वासियों के हृदयों को खोलते तथा उसे परिवर्तित करते हैं क्योंकि भाइयों को क्षमा देने के द्वारा ही प्रेम का अनुभव किया जा सकता है।

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा ही ख्रीस्त के शिष्यों का मन खोल देता है जिसे कि वे साक्ष्य में गहराई और विश्वसनीयता उत्पन्न करने वाले आवश्यक समर्पण को समझ सकें। हमें पवित्र आत्मा की अति आवश्यकता है क्योंकि वही हमारे मन और हृदय को खोलता है।

संत पापा ने धर्मशिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक सलाह देते हुए कहा कि धर्मशिक्षा भी सुसमाचार प्रचार का एक भाग है अतः विश्वासियों को शिक्षा देने हेतु मात्र स्कूली क्षेत्रों तक सीमित न रहें। यह ख्रीस्त के साथ मुलाकात करना है जो हम में उनका अनुसरण करने की प्रेरणा जगाता है। अतएव, ख्रीस्त के साथ किस प्रकार मुलाकात की जाए, उन्हें पाने एवं उनका अनुसरण करने का स्थान कहाँ है? ये सवाल नये सुसमाचार प्रचार एवं धर्म शिक्षा की चुनौतियाँ में आधारभूत भूमिका अदा करती है।

 








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