2015-05-28 11:50:00

प्रेरक मोतीः मेन्थोन के सन्त बर्नार्ड (सन् 923 ई. -1008 ई.) (28 मई)


वाटिकन सिटी, 28 मई सन् 2015:

मेन्थोन के बर्नार्ड का जन्म, 10 वीं शताब्दी में, इटली के एक कुलीन और धन सम्पन्न परिवार में हुआ था। पिता द्वारा प्रस्तावित विवाह से इनकार कर बर्नार्ड ने अपना जीवन ईश्वर एवं पड़ोसी की सेवा में व्यतीत करने का मन बना लिया था। उन्होंने कई स्कूलों एवं अस्पतालों की स्थापना की किन्तु उन्हें विशेष रूप से पर्वतीय शरणस्थलों के निर्माण हेतु याद किया जाता है। इटली के आल्प्स पर्वतों पर उन्होंने कई शरणस्थल बनवाये थे ताकि पर्वतारोहियों की सहायता की जा सके। इसीलिये बर्नार्ड को पर्वतारोहियों एवं पहाड़ों में जीवन यापन करनेवालों के संरक्षक सन्त कहा जाता है। मेन्थोन के सन्त बर्नार्ड का पर्व 28 मई को मनाया जाता है।

चिन्तनः "प्रभु ने मनुष्यों की आयु की सीमा निर्धारित की और उन्हें पृथ्वी की सब वस्तुओं पर अधिकार दिया। उसने सब प्राणियों में मनुष्य के प्रति भय उत्पन्न किया और उसे सब पशुओं तथा पक्षियों पर अधिकार दिया। उसने मनुष्यों को बुद्धि, भाषा, आँखें तथा कान दिये और विचार करने का मन भी। उसने उन्हें विवेक से सम्पन्न किया और भलाई तथा बुराई की पहचान से। उसने उनके मन की आँखों को ज्योति प्रदान की, जिससे वे उसके कार्यों की महिमा देख सकें और उसके पवित्र नाम का स्तुतिगान करें। उसने उन्हें ज्ञान का वरदान और जीवनप्रद नियम दिया। उसने उनके लिए चिरस्थायी विधान निर्धारित किया और उन्हें अपनी आज्ञाओं की शिक्षा दी। उनकी आँखों में उसके महिमामय ऐश्वर्य को देखा और उनके कानों ने उनकी महिमामय वाणी सुनी। उसने उन से यह कहा, "हर प्रकार की बुराई से दूर रहो"। उसने प्रत्येक को दूसरों के प्रति कर्तव्य सिखाया" (प्रवक्ता ग्रन्थ अध्याय 17: 3-12)।








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