2015-05-27 11:40:00

वाटिकन सिटीः लोक या परलोक में से एक का चयन, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 27 मई 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि ख्रीस्तीय धर्म एक क्रान्तिकारी चयन है जिसमें ख्रीस्तानुयायी को या तो लोक या फिर परलोक का चयन करना होता है।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तीय धर्मानुयायी चाहे वह धर्माध्यक्ष हो, पुरोहित हो या सामान्य लोकधर्मी उसे या तो संसार का या फिर स्वर्ग का चयन करना चाहिये। यह दुखद तथ्य है कि ख्रीस्तानुयायी दोनों की चाह रखें: येसु का अनुसरण करना चाहें और साथ ही सांसारिक वस्तुओं के प्रति भी आसक्त रहें।"

सन्त पापा फ्राँसिस सुसमाचार के उस पाठ पर चिन्तन कर रहे थे जिसमें पेत्रुस येसु से पूछते हैं कि उनका अनुसरण करने पर उन्हें क्या मिलेगा? सन्त पापा ने कहा, "धन-सम्पदा, दिखावा, मिथ्याभिमान और घमण्ड इतने ख़तरनाक हैं कि ये हमें प्रभु येसु से विमुख कर देते हैं।"

सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के उस पाठ का भी सन्त पापा ने ज़िक्र किया जिसमें याकूब एवं योहन की माता येसु से अनुरोध करती हैं कि वे उनके पुत्रों के लिये अपनी बगल में स्थान सुनिश्चित्त करें।

सन्त पापा ने कहा कि आज भी हममें से कई लोग यह मांग करते हैं कि मेरी बेटा प्रधान मंत्री, या फिर वित्त मंत्री बने या किसी कम्पनी में उसके लिये उच्च पद सुरक्षित रहे जबकि ख्रीस्तीयों को पहले ईश्वर की बातों पर चिन्तन करना चाहिये क्योंकि अन्य सभी चीज़े ईश कृपा से उन्हें अपने आप मिल जायेंगी।

सन्त पापा ने कहा येसु के शिष्य हम लोगों से भिन्न नहीं थे। उनमें भी वही इच्छाएँ भरी थी जो आज हममें हैं किन्तु पेन्तेकॉस्त पर पवित्रआत्मा के अवतरण ने उनके जीवन को आलोकित किया जिससे उन्होंने सच्चे धन को परखना जाना।

सन्त पापा ने ख्रीस्तीयों से आग्रह किया कि वे प्रज्ञा और विवेक के लिये प्रभु से सतत् प्रार्थना करें ताकि यथार्थ आनन्द की खोज कर सकें। 








All the contents on this site are copyrighted ©.