2015-05-25 12:35:00

विश्व मिशन दिवस 2015 के लिये सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश प्रकाशित


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 मई 2015 (सेदोक): वाटिकन ने, विश्व मिशन दिवस 2015 के लिये सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना कर दी है।

इस वर्ष, काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित 89 वाँ मिशन दिवस, रविवार, 15 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य पर बल दिया है कि मिशनरी होने का अर्थ धर्मान्तरण अथवा मात्र कोई रणनीति नहीं है अपितु मिशन, विश्वास का अनिवार्य अंग है। यह उन लोगों के लिये अनिवार्य है जो "आओ और चारों दिशाओं में जाओ" शब्दों में अभिव्यक्त पवित्रआत्मा की वाणी को सुनते हैं।

सन्देश में सन्त पापा कहते हैं, "ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को स्वयं प्रभु येसु से यह आदेश मिला है कि वे जायें तथा सर्वत्र सुसमाचार का प्रेम सन्देश फैलायें अस्तु कलीसिया का हर सदस्य अपने जीवन के साक्ष्य द्वारा सुसमाचार की घोषणा करने के लिये बुलाया गया है। विशेष रूप से, समर्पित स्त्री पुरुषों से आग्रह किया जाता है कि वे पवित्रआत्मा की वाणी के प्रति सजग रहें जो उन्हें अपने आस-पड़ोस में जाने के लिये आमंत्रित करते हैं जहाँ अब तक सुसमाचार का सन्देश नहीं पहुँचा है।"

सन्त पापा लिखते हैं कि आज कलीसिया का मिशन लोगों से अपने मूल तक पहुँचने तथा अपने- अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखने का आग्रह करने की गम्भीर चुनौती का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, "इसका अर्थ अन्य परम्पराओं एवं अन्य दार्शनिक निकायों का ज्ञान अर्जित करना तथा इस बात को कार्यरूप देना है कि ईशप्रज्ञा के रहस्य में प्रवेश करने के लिये समस्त संस्कृतियों के सभी लोगों को स्वयं अपनी परम्पराओं से मदद पाने का अधिकार है मदद पाने है। साथ ही, सभी लोगों को येसु ख्रीस्त के सुसमाचार से आलोकित होने का अधिकार है क्योंकि ख्रीस्त सभी संस्कृतियों का प्रकाश एवं शक्ति हैं।"








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