2015-05-23 16:14:00

द्वितीय अन्तरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठीय न्याय एवं शांति समिति के अध्यक्ष कार्डिनल टर्कशन को एक पत्र प्रेषित कर, रोम में 22 से 24 मई तक आयोजित काथलिक महिला अभियानों के विश्व संगठन तथा वर्ल्ड विमन अलायन्स फॉर लाईफ एण्ड फैमीली के सहयोग से दूसरे अन्तरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन को एक संदेश अर्पित किया।

उन्होंने लिखा, ″दूसरे अन्तरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के प्रतिभागियों का मैं हार्दिक अभिवादन करता तथा उन्हें प्रोत्साहन देता हूँ।″

संत पापा ने रोम में 22 से 24 मई तक आयोजित काथलिक महिला अभियानों के विश्व संगठन के पहल के प्रति खुशी जाहिर करते हुए कहा, ″उपयुक्त समय पर किये गये इस पहल से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ काथलिक महिला संगठनों की अंतरराष्ट्रीय स्तर की यह सभा एक नई पोस्ट-2015 विकास कार्यसूची का मसौदा तैयार कर रही है जिसे संयुक्त राष्ट्रसंघ में प्रस्तुत की जायेगी।

उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में महिलाएँ कई प्रकार की चुनौतियों एवं कठिनाईयों का सामना कर रही हैं। पश्चिम में अब भी लोग कार्य स्थलों में भेदभाव की भावना का सामना कर रहे हैं। उन्हें बहुधा गृहस्थी और अन्य कार्यों के बीच चुनाव करना पड़ता है, कई बार पत्नी, माता, बहन और दादी के रूप में उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ता है। ग़रीब एवं विकासशील देशों में महिलाओं की स्थिति बदतर है वे ही हैं जो पेय जल की तलाश में मीलों दूर यात्रा करती हैं, बच्चें को जन्म देते समय कई लोगों की मृत्यु हो जाती है, यौन शोषण के लिए अपहरण की शिकार बनती हैं उन्हें कम उम्र में अपनी इच्छा के विरूद्ध शादी करना पड़ता है। कई बार लड़की होने के कारण अपने जान से हाथ धोना पड़ता है। ये सभी समस्याएँ पोस्ट 2015 विकास एजेंडा में चिंतन किया गया है जिसे संयुक्त राष्ट्रसंघ में विचार किया जाएगा।

संत पापा ने कहा कि जीवन से संबंधित मुद्दे सीधे रूप में सामाजिक सवालों से जुड़े हैं। जब हम जीवन के अधिकार की रक्षा पर विचार करते हैं तब हम गर्भाधान से लेकर स्वाभाविक मृत्यु तक उनकी रक्षा की बात करते हैं जिससे वे एक प्रतिष्ठित जीवन व्यतीत कर सकें और जिसमें भूख तथा गरीबी, हिंसा एवं अत्याचार से व्यक्ति की रक्षा सुनिश्चित हो।

संत पापा ने अपने पत्र में प्रोत्साहन दिया कि जो लोग महिलाओं की प्रतिष्ठा तथा उनके अधिकार को प्रोत्साहन देने के कार्य में संलग्न हैं वे मानवता एवं पड़ोसियों की सेवा में दयालुता की भावना से प्रेरित हों। उनका कार्य स्वार्थ या सतही सक्रियता अथवा पेशेवर योग्यता पर आधारित न हो किन्तु उदार समर्पण पर आधारित हो। इस प्रकार महिलाएं ईश्वर के असंख्य वरदानों, संवेदनशीलता, समझदारी, ऊँच-नीच की भावन को दूर करने हेतु वार्ता, घावों को चंगा करने, जीवन को पोषित करने, दयालुता एवं कोमलता द्वारा मेल-मिलाप तथा विश्व के साथ एकजुटता का साक्ष्य प्रस्तुत में अपना योगदान दे सकेंगे जिसकी आज समाज को अति आवश्यकता है।

 

 








All the contents on this site are copyrighted ©.