2015-05-18 07:25:00

प्रेरक मोतीः सन्त जॉन प्रथमः सन्त पापा एवं शहीद (छठवीं शताब्दी) (18 मई)


वाटिकन सिटी, 18 मई सन् 2014:

इटली के तोस्काना प्रान्त में जॉन प्रथम का जन्म हुआ था। सन् 523 ई. में सन्त पापा होरमिसदास के निधन के बाद याजक जॉन को कलीसिया का परमाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था। उस समय इटली में थियोदोरिक गॉथ का शासन था जिनका झुकाव आरियान ख्रीस्तीयों की ओर था तथापि, अपने शासन के आरम्भिक काल में वे अपनी काथलिक प्रजा को भी बरदाश्त करते रहे थे। हालांकि, जॉन प्रथम के परमाध्यक्षीय पद ग्रहण करने के बाद, थियोदोरिक की नीतियों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया और यहीं से काथलिकों का दमन आरम्भ हो गया।

आरियान ख्रीस्तीयों ने थियोदोरिक पर दबाव डाला कि वे इटली के काथलिकों को उनके साथ एक होने के लिये बाध्य करें जिसपर थियोदोरिक ने जॉन प्रथम को अपना विशिष्ट दूत बनाकर कॉन्सटेनटीनोपल भेजा। बताया जाता है कि जॉन अपने मिशन में सफल हुए तथा इटली के काथलिकों की रक्षा हो सकी।

कॉन्सटेनटीनोपल में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा जॉन प्रथम की यात्रा ने सन् 482 ई. के अलगाववाद से पीड़ित पूर्वी रीति के ख्रीस्तीयों तथा पश्चिम के ख्रीस्तीयों के बीच पुनर्मिलन की स्थापना की। सन्त पापा जॉन प्रथम के मिशन की सफलता से थियोदोरिक के मन में यह आशंका घर कर गई कि कॉन्सटेनटीनोपल के राजा तथा सन्त पापा जॉन प्रथम उन्हें अपदस्थ करने का षड़यंत्र रच रहे थे। फिर क्या था? कॉन्सटेनटीनोपल से जैसे ही प्रतिनिधिमण्डल इटली के रावेन्ना शहर लौटा थियोदोरिक ने सन्त पापा जॉन प्रथम को गिरफ्तार करवा लिया। बन्दीगृह में सन्त पापा को कड़ी यातनाएं दी गई जिसके कुछ समय बाद सन् 523 ई. में उनका देहान्त हो गया। शहीद सन्त जॉन प्रथम का पर्व 18 मई को मनाया जाता है। 

चिन्तनः "प्रज्ञा सड़कों पर उच्च स्वर से पुकार रही है, उसकी आवाज़ चौकों में गूँज रही है...... उन्होंने ज्ञान से बैर रखा और प्रभु की श्रद्धा नहीं चाही, उन्हें मेरा परामर्श पसन्द नहीं आया, उन्होंने मेरी चेतावनी का तिरस्कार किया, इसलिए वे अपने आचरण का फल भोगेंगे, वे अपनी योजनाओं के परिणाम से तृप्त किये जायेंगे। अज्ञानियों की अवज्ञा उन्हीं को मारती है, मूर्खों का अविवेक उनका ही सर्वनाश करता है। किन्तु जो मेरी बातों पर ध्यान देता है, वह सुरक्षा में जीवन बितायेगा, वह शान्ति में रह कर विपत्ति से नहीं डरेगा''  (प्रज्ञा ग्रन्थ 1: 29-33)।








All the contents on this site are copyrighted ©.