2015-05-16 15:58:00

भय हानिकारक


वाटिकन सिटी, शनिवार, 15 मई 2015 (वीआर अंग्रेजी)꞉ समुदाय जो भययुक्त तथा आनन्दरहित होता है वह बीमार है तथा वह ख्रीस्तीय समुदाय नहीं है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में शुक्रवार को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में संत पापा ने ‘भय’ एवं ‘आनन्द’ पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ″भय एक ऐसी भावना है जो हानिकारक होती है। यह हमें कमजोर और तुच्छ बना देती है यहाँ तक कि लकवाग्रस्त कर देती है।″

संत पापा ने कहा कि एक व्यक्ति जो डरता है वह कुछ नहीं कर सकता और नहीं जानता कि क्या करे। वह अपने आप में केंद्रित हो जाता है ताकि कोई ग़लती न हो। ″भय उसे आत्मकेंद्रित, स्वार्थी और अपंग बना देता है। भय से ग्रसित ख्रीस्तीय उस व्यक्ति के समान हो जो येसु के संदेश को नहीं समझ सकता।″ यही कारण है कि येसु पौलुस से कहते हैं, ″डरो मत″।

संत पापा न कहा कि डर ख्रीस्तीय मनोभाव नहीं है यह एक ऐसी भावना है जिसे हम पिंजरे में बंद जानवर का मनोभाव कह सकते हैं। स्वतंत्र नहीं होने के कारण वह आगे नहीं देख सकता है और भलाई की बात भी नहीं सोच सकता। उन्होंने भय को खतरनाक बतलाते हुए इसमें बुराई की उपस्थिति माना और कहा कि यह बुराई करने का भय है।

संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि वे नहीं डरें तथा साहस की कृपा के लिए प्रार्थना करें जो पवित्र आत्मा हमें प्रदान करता है।

भय युक्त समुदाय की प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग किसी भी कार्य को करने के लिए आगे नहीं आते हैं। उस समुदाय का माहौल ताजा नहीं होता क्योंकि यह बीमार समुदाय है। 

संत पापा ने ईश्वर का भय तथा साधारण भय के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि ईश्वर का भय पवित्र है। यह एक सद्गुण है। यह हमें छोटा नहीं करता और न ही कमजोर बनाता है बल्कि हमें प्रभु के मिशन के लिए प्रोत्साहित करता है।

संत पापा ने ‘आनन्द’ पर चिंतन करते हुए कहा कि आपके आनन्द को कोई नहीं छीन सकता। दुःख, उदासी और विकट परिस्थिति में आनन्द शांति प्रदान करता है। आनन्द से रहित व्यक्ति एक ख्रीस्तीय नहीं हो सकता। एक ख्रीस्तीय जो लगातार उदासी में जीता है वह ख्रीस्तीय नहीं है। वह जो कठिनाई की घड़ी में अपनी शांति खो देता है उसमें किसी बात की कमी है।

संत पापा ने ख्रीस्तीय आनन्द की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए कहा, ″यह साधारण मौज मस्ती नहीं है और न ही क्षणिक उत्साह है। यह एक वरदान है, पवित्र आत्मा का वरदान। हमें सभा खुश रहना चाहिए क्योंकि प्रभु विजयी हैं वे राज्य करते हैं और वे पिता के दाहिने विराजमान हैं। अतः एक ख्रीस्तीय आनन्दमय जीवन जीता है।

समुदाय जो आनन्द रहित है वह रोगी समुदाय है यद्यपि यह मजाक पसंद करने वाला समुदाय हो किन्तु यह सांसारिकता की बीमारी से ग्रसित हो चुका है क्योंकि इसमें येसु का आनन्द नहीं है। इस प्रकार जब कलीसिया भय युक्त है और पवित्र आत्मा से आनन्द ग्रहण नहीं कर सकता है तो इसका अर्थ है कि वह समुदाय बीमार है और उसके विश्वासी भी बीमार हैं। संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि वह भय को दूर करे तथा आनन्द एवं शांति प्रदान करे।

 

 








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