मुम्बई, मंगलवार, 12 मई, सन् 2015 (एशियान्यूज़): केरल में 13 व्यक्तियों को ख्रीस्तीय प्राध्यापक के अंगविच्छेद का दोषी पाया गया।
सन् 2010 में मुसलमानों के एक दल ने ख्रीस्तीय प्राध्यापक टी.जे.जोसफ पर ईश निन्दा का आरोप लगाकर उनका दाहिना हाथ एवं दाहिने बाँह का एक हिस्सा काट डाला था।
शुक्रवार को केरल में एरनाकुलम की एक अदालत ने 13 व्यक्तियों को इस घटना के लिये दोषी पाया। इनमें से 10 व्यक्तियों को आठ-आठ साल के तथा तीन व्यक्तियों को दो-दो साल के कारावास का दण्ड दिया गया है। कारावास के अतिरिक्त, दोषियों को आठ लाख रुपये क्षतिपूर्ति के लिये प्राध्यापक जोसफ को देने होंगे।
एशियान्यूज़ से बातचीत में ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियन्स जीसीआईसी के अध्यक्ष डॉ. साजन के. जॉर्ज ने कहा, "हम अदालत के फैसले से प्रसन्न हैं। कोई भी व्यक्ति इस्लाम के कथित अपमान के बहाने बर्बर और हिंसक कृत्यों को अन्जाम नहीं दे सकता। यह मेरे द्वारा देखे गये सबसे क्रूर और वीभत्स कृत्यों में से एक था।"
श्री जॉर्ज ने कहा, "टी.जे. जोसफ के हमलावरों ने उनके हाथ काटकर "तालिबान" जैसा तरीका अपनाया। उनका मकसद ज्ञान और विकास पर भी आघात करना था जिनका प्रतिनिधित्व प्राध्यापक जोसफ अपने शिक्षण कार्य से कर रहे थे।"
अभियोजन पक्ष ने प्रतिवादियों पर हत्या एवं षड़यंत्र का आरोप लगाया था तथा इनके लिये उम्र क़ैद की मांग की थी। अदालत ने माना कि प्रतिवादी दोषी थे तथापि उनकी सज़ा को कम कर दिया। अभियोजन पक्ष ने कहा है कि फैसला सन्तोषजनक नहीं है इसलिये वह उच्च न्यायलय में अपील की योजना बना रहा है।
प्राध्यापक जोसफ थोडूपूज़ा के न्यूमन कॉलेज में मलयालम साहित्य पढाते थे जिनपर मुसलमानों के एक दल ने एक प्रश्न पत्र में इस्लाम के अपमान का आरोप लगाकर हमला किया था।
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