2015-05-07 16:14:00

संत पापा ने यूरोप की कलीसियाओं के संयुक्त सम्मेलन से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 7 मई को वाटिकन में यूरोप की कलीसियाओं के संयुक्त सम्मेलन को सम्बोधित किया।

यूरोप की कलीसियाओं के संयुक्त सम्मेलन के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने उनके कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, ″वे यूरोप की ख्रीस्तीय एकतावर्धक यात्रा में महत्वपूर्ण सहयोग दे रहे हैं जहाँ ख्रीस्तीयों के बीच अब भी कई विभाजन दिखाई पड़ते हैं। लम्बे समय से इस प्रायद्वीप में ख्रीस्तीयों के बीच आपसी झगड़ा चल रहा है। ईश्वर की कृपा से आज वहाँ की परिस्थिति पहले से काफी अलग है क्योंकि ख्रीस्तीय एकता वर्धक आंदोलन ने मेल-मिलाप और शांति स्थापना के प्रयास में अपना महान योगदान दिया है।″

ज्ञात हो कि 2001 में स्ट्रासबर्ग में तैयार मसौदों के अनुसार, यूरोपीय ख्रीस्तीय एकतावर्धक असेम्बली तथा कार्ता ओकुमेनिया संबंधी यूरोपीय कलीसियाओं के सम्मेलन तथा यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के साथ मिलकर कार्य करना काफी फलप्रद साबित हुआ है। ये प्रयास विभाजन से ऊपर उठने हेतु आशा का स्रोत बन गया है।

ख्रीस्तीय एकतावर्धक परिषद की आज्ञप्ति में कहा गया है कि ख्रीस्तीयों के बीच विभाजन समस्त सृष्टि में सुसमाचार प्रचार के पवित्र कारण को नष्ट करता है।

संत पापा ने कहा ने सलाह दी कि पवित्र बाईबिल के आलोक में एक साथ चिंतन एवं परम्परा की याद करने जैसे फलप्रद अवसरों से कभी नहीं चूकना चाहिए। पिता के रहस्यों एवं उनके प्रेम को प्रकट करने वाले प्रभु येसु को एक साथ देखें। इस प्रकार हम आधुनिक समाज में ख्रीस्तीयों के सवालों का उत्तर पा सकते हैं। हम ख्रीस्त के जितने करीब होंगे उतने ही एक दूसरे के नजदीक आ पायेंगे।

संत पापा ने यूरोप की नयी समस्या पर ग़ौर करते हुए कहा कि आज यूरोप की कलीसियाएँ नयी समस्याओं एवं विभाजनों से जूझ रही हैं जिसका निदान एक-दूसरे से बात करने के द्वारा ही निकाला जा सकता है। उन्होंने यूरोप में शरण हेतु आये प्रवासियों तथा ग़रीबों की मदद हेतु एकजुट होने की सलाह दी।

संत पापा ने कहा कि यूरोप के ख्रीस्तीय दुनिया में शांति हेतु प्रार्थना करने तथा वार्ता एवं शांति स्थापित करने के लिए बुलाये गये हैं। 








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