2015-05-04 16:15:00

मित्रता में बढ़ने का माध्यम


वाटिकन सिटी ,सोमवार, 4 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ येसु को अंतिम ब्यारी में प्रस्तुत करता है जब उन्हें मालूम था कि उनकी मृत्यु निकट थी। वे आखिरी बार अपने शिष्यों से मिल रहे थे अतः वे उनके मन में एक मौलिक सच्चाई को डालना चाहते थे ताकि जब वे शारीरिक रूप में उनके साथ नहीं रहेंगे तब भी वे एक नवीन रीति से उनके साथ संयुक्त होंगे तथा बहुत फल उत्पन्न करेंगे।″ यह कैसे सम्भव हो सकता है?

उन्होंने कहा, ″यदि कोई उनके साथ संबंध तोड़ देता है तो वह बंजर भूमि बन जाता है और समुदाय को हानि पहुँचाता है।″ उन्होंने कहा कि अपने साथ संयुक्ति हेतु इस नवीन रीति को समझाने के लिए येसु दाखलता एवं उनकी डालियों के प्रतीक को प्रस्तुत करते हैं। ″तुम मुझ में रहो और मैं तुम में रहूँगा। जिस तरह दाखलता में रहे बिना डाली स्वयं नहीं फल सकती,  उसी तरह मुझ में रहे बिना तुम भी नहीं फल सकते। मैं दाखलता हूँ और तुम डालियाँ हो। जो मुझ में रहता है और मैं जिसमें रहता हूँ वही फलता है क्योंकि मुझ से अलग रहकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।″(यो.15꞉4-5) ये प्रतीक हमें उनसे संयुक्त रहने की शिक्षा देता है यद्यपि वे शारीरिक रूप से अनुपस्थित रहते हैं। 

संत पापा ने कहा कि येसु दाखलता हैं और हम डालियाँ, जिस तरह पेड़ का रस डालियों में प्रवाहित होता है उसी तरह पवित्र आत्मा जो ईश्वर का प्रेम है हमें प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टांत द्वारा येसु हमें उनके साथ संयुक्त रहने के महत्व को समझाना चाहते हैं। डालियाँ अपने आप में पूर्ण नहीं होती हैं किन्तु दाखलता पर निर्भर करती हैं जो उनके जीवन का स्रोत है।

हम ख्रीस्तीयों के लिए भी यही बात लागू होती है। बपतिस्मा द्वारा हम ख्रीस्त में कलम किये गये हैं। हमने मुक्त में नया जीवन प्राप्त किया है तथा कलीसियाई समुदाय के माध्यम से ख्रीस्त से संयुक्त रहते हैं। हमें अपने बप्तिस्मा के प्रति निष्ठावान बने रहना चाहिए। दैनिक प्रार्थना, ईश वचन सुनने और उसका पालन करने, सुसमाचार का पाठ करने तथा संस्कारों में भाग लेने, विशेषकर, युखरिस्त एवं मेल- मिलाप संस्कार में भाग के द्वारा प्रभु से संयुक्ति, उनके साथ मित्रता में बढ़ने का सशक्त माध्यम हैं।

संत पापा ने कहा कि यदि कोई येसु से संयुक्त हैं तो वह पवित्र आत्मा को प्राप्त करेगा। जैसा कि संत पौलुस कहते हैं आत्मा का फल है- प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहनशीलता, मिलनसारी, दयालुता ईमानदारी।″ (गला.5꞉22) जब हम येसु से संयुक्त होते हैं तब ये सभी कृपायें हमें प्राप्त हो जाती हैं। यही कारण है कि जो व्यक्ति ख्रीस्त से संयुक्त होता है वह लोगों एवं समाज की अधिक भलाई करता है। संत पापा ने कहा कि यही एक ख्रीस्तीय की असलियत है। ये ही भावनाएँ उसे पहचान प्रदान करती हैं, जैसा कि पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। येसु के साथ संयुक्ति का यह फल अनोखा है। हमारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व; आत्मा, बुद्धि, इच्छा, भावनाएँ यहाँ तक कि शरीर भी पवित्र आत्मा की कृपा से रूपांतरित हो जाता है क्योंकि हम आत्मा और शरीर हैं। ख्रीस्त का जीवन हमारा अपना जीवन बन जाता है जिसके कारण हम उन्हीं की तरह सोचने, काम करने तथा येसु की नज़रों से दुनिया तथा यहाँ की हर वस्तु को देखने लगते हैं। परिणामतः हम अपने गरीब और पीड़ित भाइयो से प्यार करते हैं जिस प्रकार उन्होंने स्वयं किया। उन्होंने उन्हें दिल से प्यार किया तथा अच्छाई, भलाई तथा शांति का फल दुनिया में लाया।

संत पापा ने कहा कि हम प्रत्येक उसी जीवन वृक्ष की डालियाँ तथा एक साथ मिलकर ख्रीस्त एवं कलीसिया के लिए फल उत्पन्न करना है। हम माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि कलीसिया में हम जीवित डालियाँ बन कर रह सकें तथा सुसंगत तरीके से विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें। अपने व्यक्तिगत बुलाहट में प्रभु येसु ख्रीस्त के मुक्ति कार्य में भाग लेते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पश्चात् उन्होंने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, ″इटली तथा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से एकत्र आप सभी का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ।″ संत पापा ने सूचना दी कि शनिवार को तूरिन में संत जोसेफ बेनेडिक्ट कोतोलेंगो के बंधुओं के धर्मसंघ में समर्पित लुइजी बोर्दिनो को धन्य घोषणा किया गया। लुइजी बोर्दिनो ने अपना जीवन बीमार एवं दुःखी लोगों के लिए समर्पित किया था तथा ग़रीबों की सेवा की थी। हम ईश्वर को उनके विनम्र एवं उदार शिष्य के लिए धन्यवाद दें। संत पापा ने हिंसा के शिकार बच्चों के दिवस पर मातेर असोसियेशन का अभिवादन किया तथा हिंसा दूर करने के उनके प्रयास के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने सलाह दी कि हमें हर मानव जीवन की रक्षा हेतु प्रयास जारी रखना चाहिए विशेषकर, बच्चों की। अंत में, उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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