रोम, सोमवार 4 मई, 2015 (सेदोक, वीआर) इटली के प्रसिद्धि कवि दांते अलिघियेरी के जन्म की 750 जयन्ती (1265-2015) के अवसर पर रोम सेनेट सभागार में 4 मई सोमवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया है जिसमें इटली के राष्ट्रपति सेरजियो मातारेल्ला के साथ संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जियानफ्राँको रवासी ने हिस्सा लिया।
सभा को संबोधित करते हुए कार्डिनल रवासी ने कहा कि दांते अलिघियेरी विश्वव्याव्यी मूल्यों के कलाकार थे जिनकी रचनायें उन लोगों के लिये आज भी दुनिया के लिये प्रासांगिक है जो सच्चे ज्ञान, आत्म खोज गहन खोज और उत्कृष्ट अस्तित्व के पथ पर चलना चाहते हैँ।
विश्व प्रसिद्ध कवि दांते के सम्मान में कई लोगों ने अपने दस्तावेज़ों में कई बातें लिखीं हैं क्योंकि दांते के विचार न केवल कला की दृष्टि से वरन् ईशशास्र और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों से भी महत्वपूर्ण थे।
संत पापा बेनेदिक्त पंद्रहवें ने ‘प्रक्लारा सुम्मोरुम’ नामक दस्तावेज़ में दांते और संत पेत्रुस के आसन को करीबी से जोड़ने के प्रयास की पुष्टि की है। 30 अप्रैल 1921 को लिखे दस्तावेज़ में उन्होंने दांते की प्रतिभा की तीक्ष्णता की तारीफ़ की थी।
कार्डिनल ने ककहा कि विभिन्न अवसरों पर धन्य पौल षष्टम्, संत जोन पौल द्वितीय और बेनेदिक्त सोलहवें ने भी दांते की रचनाओं की चर्चा की और उनसे प्राप्त प्रेरणाओं को विश्वासियों को बाँटा।
कार्डिनल रवासी ने कहा कि दांते निश्चय ही आशा के नबी है जिन्होंने इस बात की घोषणा की है कि प्रत्येक व्यक्ति की मुक्ति, संभव है। दांते एक ऐसे नबी हैं जो हमें इस बात के लिये आमंत्रित करते हैं कि मानव यात्रा के सामने छाये धुँधले बादल से निकल कर आशा की नयी किरण को देखें, जहाँ मानव की पूर्ण मर्यादा चमकती है।
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