2015-04-22 11:58:00

नई दिल्लीः ख्रीस्तीय स्कूलों पर हमले के बाद पुलिस ने 16 को किया गिरफ्तार


नई दिल्ली, बुधवार, 22 अप्रैल 2015 (ऊका समाचार): झारखण्ड पुलिस ने मंगलवार को दो काथलिक स्कूलों पर हमले के बाद 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।

मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की विद्यार्थी शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कम से कम 60 कार्यकर्त्ताओं ने झारखण्ड के हज़ारीबाग़ स्थित दो काथलिक स्कूलों पर हमला किया तथा ख्रीस्तीय विरोधी नारे लगाये।

पुलिस ने बताया कि उग्रवादी हिन्दू युवाओं ने होली क्रॉस स्कूल तथा सेन्ट ज़ेवियर स्कूलों में प्रवेश कर स्कूल कार्यलय में तोड़-फोड़ मचाई तथा इन स्कूलों को बन्द करने की मांग की।

हज़ारीबाग पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अरविन्द कुमार ने बताया कि पुलिस समय पर पहुँच गई जिससे अधिक क्षति को रोका जा सका।

होलीक्रॉस स्कूल की प्रधानाचार्या सि. क्लेरीता डिमेल्लो ने ऊका समाचार को बताया कि हमलावरों ने  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ध्वज फहराये तथा ख्रीस्तीय मिशनरियों के विरुद्ध नारे लगाये। उन्होंने बताया कि स्कूल कार्यालय में घुसकर उन्होंने तोड़-फोड़ मचाई तथा धमकी देने के अन्दाज़ में उनसे पूछा कि स्कूल में हिन्दू देवी सरस्वती तथा प्रधान मंत्री मोदी की तस्वीरें क्यों नहीं लगाई गई हैं।

सि. डिमेल्लो ने बताया कि विगत कुछ माहों से स्कूल की दीवारों पर अपकीर्तिकर वाक्य लिखना तथा स्कूल भवनों के सामने विरोध प्रदर्शन कर गन्दे नारे लगाना आम बात हो गई है।

ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि मोदी की हिन्दू राष्ट्रवादी भाजपा द्वारा शासित झारखण्ड में विगत वर्ष से यानि जब से भारतीय जनता पार्टी केन्द्र में सत्ता में आई है तब से ख्रीस्तीय विरोधी हमलों में वृद्धि हुई है।   

शिक्षा विद् फादर जेराल्ड डिसूज़ा ने कहा कि हमलों का मकसद ख्रीस्तीय मिशनरियों को आदिवासी एवं निर्धन क्षेत्रों से भगाना है। उन्होंने यह भी कहा कि झारखण्ड में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के दौरे तथा स्थानीय भाजपा नेताओं से उनकी मुलाकात के बाद ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हमले सघन हो गये हैं।

फादर डिसूज़ा ने कहा कि हिन्दू चरमपंथी किसी न किसी बहाने ख्रीस्तीय स्कूलों को उत्पीड़ित करते रहे हैं और इनमें से एक बहाना है, संघीय कानून के अनुसार, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिये स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों का आरक्षण। हालांकि, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि जो स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त नहीं करते हैं वे इस कानून से नहीं बन्धे हैं।

इस बीच, हज़ारीबाग के 11 काथलिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों को एक मेमो पत्र सौंप कर सरकार से सुरक्षा की मांग की है। ख्रीस्तीय शिक्षा विदों का कहना है कि हमलों, गाली-गलौच, असुरक्षा और धमकियों के वातावरण में स्कूल का सामान्य कार्यभार सम्भालना बहुत मुश्किल है।       








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