इटली, सोमवार 20 अप्रैल, 2015 (बीबीसी) भूमध्यसागर के ज़रिये यूरोप पहुंचने के प्रयास में सैकड़ों शरणार्थियों के डूबने से यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री सोमवार को लक्ज़मबर्ग में मिल रहे हैं ताकि इस समस्या से निबटने के लिए जल्दी ही कदम उठाए जा सकें।
लीबिया और दूसरे देशों में चल रही हिंसा से ये समस्या बढ़ी है। भूमध्यसागर से लगते इटली जैसे यूरोपीय देश इन मामलों से ख़ासे परेशान हैं।
यूरोपीय मुल्कों ने पिछले साल फ़ैसला किया था कि वो इस तरह के शरणार्थियों को बचाने के कार्यों में कमी लाएंगे ताकि ऐसे लोगों के विश्व के दूसरे हिस्सों से यूरोप पहुंचने की कोशिश पर लगाम लग सके।
इटली के प्रधानमंत्री मातेयो रेंज़ी ने कहा है कि वह यूरोपीय संघ के नेताओँ की एक आपात बैठक बुलाने की मांग रखेंगे. उन्होंने मानव तस्करों को इन मौतों के लिए अंतिम रूप से ज़िम्मेदार ठहराया है और इसके खिलाफ सबको साथ आकर अभियान चलाने की अपील की है।
इटली के प्रधानमंत्री मातेयो रेंज़ी ने कहा, ''यह सागर में सिर्फ आपात स्थिति का मसला नहीं है यह एक राजनीतिक संकट है. इंसानों के व्यापार को रोकना इंसान के सम्मान का मसला है ना कि राष्ट्रीय सुरक्षा का।''
एक दिन पहले हुए हादसे में कम से कम 650 लोगों के डूब कर मारे जाने की आशंका है. अब तक हुए हादसों में इसे सबसे बड़ा बताया जा रहा है।
ये हादसा लीबिया के समुद्री क्षेत्र में हुआ।
उत्तरी अफ्रीका के देशों से आ रहे शरणार्थियों के सामने भूमध्यसागर पार करने के बाद सबसे पहले इटली ही नज़र आता है और यही वजह है कि उसे इस समस्या की आंच सबसे ज्यादा झेलनी पड़ी है।
आर्थिक मुश्किलों और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे यूरोप के लिये यह तय करना कठिन है कि शरणार्थियों के खर्च का बोझ कौन उठाए।
यूरोप की माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की निदेशक एलिज़ाबेथ कॉलेट इसे यूरोपीय संघ के लिए बड़ी चुनौती बताती हैं।
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