2015-04-14 11:28:00

बुलाहटों के लिये प्रार्थना दिवस हेतु सन्त पापा का सन्देश प्रकाशित


वाटिकन सिटी,मंगलवार, 14 अप्रैल 2015 (सेदोक): वाटिकन ने बुलाहटों के लिये प्रार्थना के 52 वें दिवस हेतु सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना मंगलवार को कर दी।

50 वर्षों से अधिक समय से सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया पास्का के चौथे रविवार को बुलाहटों के लिये प्रार्थना दिवस मनाती आई है। इस वर्ष पास्का का चौथा रविवार 26 अप्रैल को है और इसी दिन काथलिक कलीसिया बुलाहटों के लिये 52 वाँ प्रार्थना दिवस मना रही है।

"पास्का का चौथा रविवार हमारे समक्ष भले गड़रिये की छवि को प्रस्तुत करता है, भला गड़रिया जो अपनी भेड़ों को जानता हैः उन्हें बुलाता है, उनका पोषण करता तथा मार्गदर्शन करता है", इन शब्दों से सन्त पापा फ्राँसिस अपना सन्देश आरम्भ किया।

उन्होंने कहा कि बुलाहटों हेतु प्रार्थना दिवस द्वारा माता कलीसिया प्रार्थना की आवश्यकता के प्रति हममें चेतना जाग्रत करती है और स्मरण दिलाती है कि सुसमाचार के प्रसार का दायित्व केवल 12 प्रेरितों को ही सौंपा नहीं गया था बल्कि युगयुगान्तर तक प्रत्येक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी इस मिशन के लिये बुलाया गया है।  

सन्त पापा ने कहा, "अपनी प्रकृति से ही कलीसिया मिशनरी है इसलिये वह अपने मेषपाल की आवाज़ को सुनती, पवित्रआत्मा से अनुप्राणित होकर सुसमाचार की उदघोषणा करती तथा इस उद्यम में भागीदार बनने के लिये विश्वासियों को आमंत्रित करती है ताकि वे हर्ष एवं साहस के साथ ईश राज्य की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दें।"

सन्त पापा ने कहा कि सुसमाचार प्रचार के लिये अपना "जीवन समर्पित कर देने का अर्थ है सबकुछ को पीछे छोड़ देना, अपने अहं को पीछे छोड़ देना और इसी "निर्गमन" पर मैं चिन्तन करना चाहूँगा जो बुलाहटों का प्राण है अर्थात् ईश्वर से मिली बुलाहट का प्रत्युत्तर है।"

उन्होंने कहा कि बाईबिल के दूसरे ग्रन्थ यानि निर्गमन ग्रन्थ में मिस्र की दासता से प्रतिज्ञात देश में जाना एक कष्टकर यात्रा थी किन्तु इसके बावजूद उस यात्रा ने इस्राएल के लोगों को मुक्ति का अनुभव कराया था। इसी प्रकार, उन्होंने कहा, "पुराने आदम की दासता को पार कर ख्रीस्त में नवजीवन पाना भी मुक्ति की घटना है जो विश्वास के द्वारा परिपूर्ण हुई। अस्तु, ख्रीस्त का पास्का यथार्थ "निर्गमन" है; वह प्रत्येक ख्रीस्तीय आत्मा एवं सम्पूर्ण कलीसिया की यात्रा है, पिता ईश्वर के प्रति अभिमुख हमारे जीवन का निर्णायक मोड़।"

सन्त पापा ने कहा कि प्रत्येक ख्रीस्तीय बुलाहट के मूल में हम इस आधारभूत आवागमन को पाते हैं जो विश्वास के अनुभव से ओत्-प्रोत् रहा करता है। उन्होंने कहा कि निर्गमन की प्रक्रिया केवल व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं है इसमें सम्पूर्ण कलीसिया का सुसमाचार उदघोषणा मिशन शामिल है।

सन्त पापा ने विशेष रूप से युवाओं को प्रोत्साहन दिया कि वे दैनिक जीवन की कठिनाइयों से भय खाकर निराश न होवें बल्कि विश्वास एवं आशा के साथ साहसपूर्वक  सुसमाचार उदघोषणा की यात्रा शुरु करें जिसका सन्देश हमारे जीवन को सच्ची स्वतंत्रता प्रदान कर सकता है।             








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