2015-04-13 19:45:00

येसु युगानुयुग से दया सागर


वाटिकन सिटी, सोमवार 13 अप्रैल, 2015 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 12 अप्रैल को संत पेत्रुस महागिरजाघर के में अरमेनियन शहीदों की सौवी जयन्ती के अवसर पर यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में दिव्य करुणा के महत्व पर प्रकाश डाला।

दिव्य करुणा के पर्वोत्सव के अवसर पर संत पापा ने अरमेनिया के संत ग्रेगोरी नारेक को सावर्वभिक कलीसिया का डॉक्टर घोषित किया।

संत पापा ने दिव्य करुणा के पर्व दिवस पर यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए तीन बातों की याद दिलायी। उन्होंने कहा कि 20वी सदी की सबसे भयंकर और अभूतपुर्व त्रासदियों में अरमेनियन ख्रीस्तीयों की हत्या, नाज़ी और साम्यवादियों का नरसंहार शामिल हैं। इन नरसंहारों में निर्दोषों के रक्त बहाये गये।

उन्होंने कहा युद्ध पागलपन और चेतनाशून्य नरसंहार है।

संत पापा ने कहा कि यह ज़रूरी और हमारा दायित्व है कि हम इस घटना को नरसंहार कहें। ऐसा कहते हुए हमारे दिल दुःखी होता है पर दूसरी ओर हम जीवित प्रभु येसु हर्ष मनायें।

जीवित प्रभु येसु ने अपने घाव दिखाते हुए अपने चेलों से कहा था कि विश्वास करो। क्योंकि वे सचमुच जीवित हुए हैं । हम येसु मसीह के घाव में दुनिया के रहस्य और पूरी दुनिया की मुक्ति को भी समझ सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु के घाव इस बात की घोषणा करते हैं कि ईश्वर युगानुयुग से दयालु हैं।  

उन्होंने कहा कि दुनिया की बुराइयों को येसु ईशपुत्र ने क्रूस की मृत्यु द्वारा समाप्त कर दिया और इसे दया से भर दिया।

संत पापा ने कहा कि येसु हमें पाप और मृत्यु के गर्त्त से निकालकर शांति का एक नया जीवन देते है।                  








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