2015-04-09 15:14:00

एशिया में कलीसिया की प्रेरिताई


बैंकॉक, बृहस्पतिवार, 9 अप्रैल 2015 (एशियान्यूज़)꞉ ″एशिया में कलीसिया की प्रेरिताई आज के विश्व में मेल-मिलाप तथा शांति-निर्माण करना है।″ यह बात म्यानमार स्थित यानगोन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स मौंग बो ने कमिलियन मेषपालीय केंद्र बैंकॉक में आयोजित एक सम्मेलन में कही।  

थाईलैंड में 8 अप्रैल से आयोजित इस सम्मेलन में 14 देशों के 43 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सम्मेलन की विषयवस्तु है ″एशिया के परिपेक्ष्य में पुनर्मिलन एवं शांति।″

कार्डिनल चार्ल्स मौंग बो ने कहा, ″एशिया महाद्वीप में विश्व जनसंख्या की 60 प्रतिशत आबादी निवास करती है। जहाँ विविधता की सुंदरता है, आर्थिक विकास की गतिशीलता है तथा हमारे विभिन्न संस्कृतियों की जीवंतता है।″ उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा महाद्वीप है जहाँ धर्म के प्रति सम्मान है तथा विश्व के सभी धर्मों को स्थान दिया जाता है जहाँ इस्लाम, बौद्ध, हिन्दू तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी एक साथ मिल कर रहते हैं।

उन्होंने एशिया महाद्वीप के नकारात्मक पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कई जगहों पर स्वतंत्रता की कमी है। कई स्थलों पर अधिनायकवाद और अत्याचार शासकों का आतंक दिखाई पड़ता है। एशिया के कई क्षेत्रों में संघर्ष, असहिष्णुता और अस्थिरता की स्थिति है। जाति, धर्म तथा राजनीति को एक घातक कॉकटेल के समान मिला दिया जाता है जो एशिया की चुनौतियों की जड़ है। यही कारण है कि कलीसिया को इन चुनौतियों का सामना करना तथा उनके समाधान हेतु कार्य करना है।

उन्होंने कहा कि मन परिवर्तन तथा शांति सुसमाचार के केंद्र में निहित हैं अतः कलीसिया कई प्रकार के कार्यों का सम्पादन करते हुए एक ही उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास करती है अर्थात्  मेल मिलाप꞉ ईश्वर के साथ तथा मानव के साथ।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.