2015-04-06 15:14:00

सीरियाई बच्ची का आत्म समर्पण शरणार्थी बच्चों की स्थिति का परिचायक


बैरूत, सोमवार, 6 अप्रैल 2015 (सीएनए)꞉ सीरिया में एक बच्ची ने कैमरे से फोटो लेते वक्त उसे बन्दूक समझ आत्म समर्पण स्वरूप अपना हाथ ऊपर उठाया जो वहाँ के विस्थापित एवं शरणार्थी बच्चों की मानसिक स्थिति का परिचायक है।

बैरूत के सहायता कर्मी ज़ेरेने हाद्दाद ने सीएनए से फोन पर जानकारी देते हुए कहा, ″बच्चों के लिए यह परिस्थिति अत्यन्त जटिल और अंधकारमय है। परिस्थितियाँ बिलकुल अच्छी नहीं हैं।″

युद्ध तथा हिंसा के प्रभावित बच्चों का अनुभव बतलाते हुए उन्होंने कहा कि शरणार्थी शिविरों में बच्चे बहुधा शून्य अथवा गूँगे दिखाई पड़ते हैं। वे अपने को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।

उन्होंने कहा कि अच्छी तरह नहीं बोल पाना एवं भावनाओं से अनभिज्ञ होना उनके जीवन में बड़ा नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

विदित हो कि ज़ेरेने हाद्दाद मध्यपूर्व में जेसुइट रिफ्यूजी सेवा हेतु संचार तथा स्थानीय वकालत की प्रभारी हैं।

आपात कालीन सहायता के साथ यह संस्था शरणार्थियों को शिक्षा, मनोरंजन तथा शारीरिक सेवा उपलब्ध कराती है। संस्था करीब 2,000 ईराकी, जॉडन तथा सीरिया के शरणाथिर्यो की मदद कर रही है।

बीबीसी के ओस्मान सजिरली ने सीएनए को जानकारी दी उन्होंने वह फोटो दिसम्बर माह में सीरिया के एक शरणार्थी शिविर से लिया था।

उन्होंने कहा कि 4 वर्षीय हदेया अपनी माँ के साथ 90 मील की दूरी तय कर अपने घर हामा से इस शिविर में आयी थी।

उन्होंने कहा कि साधारणतः बच्चे कैमरा देखकर भागने लगते या मुस्कुराते हैं किन्तु इस बच्ची ने उसे बंदुक समझ कर अपना हाथ ऊपर कर लिया जो उन्हें बहुत प्रभावित किया।

 

 








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