वाटिकन सिटी, सोमवार, 6 अप्रैल 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″सड़क पर यात्रा करते हुए आप अपने गंतव्य तक पहुँच चुके हैं किन्तु ख्रीस्तीय होने के कारण अत्याचार, निष्कासन तथा हत्या के शिकार भाई-बहनों की सुरक्षा हेतु प्रबल प्रार्थनाओं, उदार क्रियाओं तथा सहायता के ठोस क़दमों द्वारा आपको अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखनी चाहिए।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 6 अप्रैल को वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पश्चात् शालोम आंदोलन के प्रतिनिधियों से कही।
ख्रीस्तीय महापर्व पास्का के दूसरे दिन संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ करने के बाद देश-विदेश से एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।
उन्होंने विश्व में ख्रीस्तीयों पर हो रहे अत्याचार से रक्षा हेतु लोगों के बीच चेतना जगाने का काम करने वाले इस आंदेलन के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा, ″यात्रा करते हुए आप अपने गंतव्य तक पहुँच चुके हैं किन्तु ख्रीस्तीय होने के कारण अत्याचार, निष्कासन तथा हत्या के शिकार भाई-बहनों की सुरक्षा हेतु प्रबल प्रार्थनाओं, उदार क्रियाओं तथा सहायता के ठोस क़दमों द्वारा आपको अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखनी चाहिए।″
ज्ञात हो कि शालोम आंदोलन की स्थापना इटली में सन् 1970 ई. के दशक में फादर अंद्रेया ख्रीस्तीयानी द्वारा शांति, सद्भावना एवं सहिष्णुता को प्रोत्साहन देने के लिए हुई थी। ″शालोम″ शब्द का अर्थ है शांति। अब इसके सदस्यों की संख्या 30 हज़ार से भी अधिक है जो विभिन्न विकासशील देशों में ग़रीबों की मदद करता है।
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