2015-04-04 11:24:00

रोमः क्रूस मार्ग की यात्रा के क्षण सन्त पापा ने याद किया प्रताड़ित ख्रीस्तीयों को


रोम, शनिवार, 4 अप्रैल 2015 (सेदोक): रोम के ऐतिहासिक स्मारक कोलोसेऊम में, गुड फ्रायडे के उपलक्ष्य में, शुक्रवार रात्रि को सम्पन्न क्रूस मार्ग की यात्रा के उपरान्त, सन्त पापा फ्राँसिस ने, सताये जा रहे ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का स्मरण किया।

उन्होंने प्रार्थना कीः "दिव्य प्रेम, येसु, तुझमें आज हम अपने उन प्रताड़ित भाइयों एवं बहनों को देखते हैं जो अपने ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर सताये जा रहे हैं, हमारी ही आँखों के सामने और प्रायः हमारे सहअपराधिक मौन के समक्ष, उनके सिर धड़ों से अलग किये जा रहे हैं, वे भी तेरी ही तरह क्रूसित किये जा रहे हैं।"

रोम के कोलेसेऊम स्मारक पर शुक्रवार रात को क्रूस मार्ग की विनती का पाठ किया गया तथा उसके 14 मुकामों पर चिन्तन किया गया। इस अवसर पर विश्व में ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के उत्पीड़न और साथ ही उसके प्रति हमारे "सहअपराधिक मौन" पर सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी प्रार्थना को केन्द्रित रखा।  

विश्व में सताये जा रहे ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का प्रतिनिधित्व करते हुए क्रूस मार्ग की यात्रा के दौरान ईराक, सिरिया, नाईजिरिया, मिस्र, चीन तथा पवित्रभूमि इस्राएल के ख्रीस्तीय प्रतिनिधियों ने पवित्र क्रूस उठाया।

इस वर्ष पवित्र क्रूस मार्ग के मुकामों पर चिन्तन नोवारा के धर्माध्यक्ष रेनातो कोर्ती द्वारा तैयार किया था। क्रूस मार्ग के दूसरे मुकाम पर प्रभु येसु के कपड़े उतारे जाने पर चिन्तन में कहा गयाः "हमारे समय में भी, पुरुषों एवं स्त्रियों को बन्दी बनाया जाता है, दण्डित किया जाता है तथा सिर्फ इसलिये मार डाला जाता है कि वे विश्वासी हैं अथवा न्याय एवं शांति के कार्यों में संलग्न हैं। वे प्रभु के क्रूस पर लज्जित नहीं हैं और हम सब के वैभवशाली आदर्श हैं।"

02 मार्च, 2011 को पाकिस्तान में हत्या के शिकार बने काथलिक धर्मानुयायी मंत्री शाहबाज़ भट्टी के शब्दों को भी चिन्तन के दौरान दुहराया गया। शाहबाज़ भट्टी ने कहा थाः "मुझे वह गुड फ्रायडे याद है जब मैं केवल 13 वर्ष का थाः हमारी एवं संसार की मुक्ति के लिये येसु की कुर्बानी पर मैंने एक उपदेश सुना और सोचा कि प्रभु के बलिदान के बदले मैं भी अपने ज़रूरतमन्द भाइयों एवं बहनों की सेवा करूँ। उन ख्रीस्तानुयायियों की और, विशेष रूप से, निर्धनों की सेवा करूँ जो इस इस्लामिक देश में अपने विश्वास के ख़ातिर सताये जा रहे हैं।"

इस साक्ष्य के प्रकाश में इस प्रकार प्रार्थना की गईः "प्रभु येसु, अत्याचार के शिकार समस्त विश्वासियों को आन्तरिक रूप से सुदृढ़ कर। हमारी मंगलयाचना है कि धार्मिक स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का प्रसार सम्पूर्ण विश्व में हो सके।"

पवित्र क्रूस मार्ग की यात्रा के अन्त में सन्त पापा फ्राँसिस ने येसु के दुखभोग पर मनन किया और कहा कि इसमें हम, "अपने दैनिक विश्वासघातों एवं हमारे अविश्वास को देखते हैं। हे ईश्वर के बलित मेमने हम इसमें अपने दोषों को देखते हैं। तेरे तमाचा मारे गये, थूके गये और विरूपित मुखमण्डल में हम अपने पापों की बर्बरता को देखते हैं। तेरे दुखभोग की क्रूरता में हम अपने कृत्यों एवं हृदयों की क्रूरता को देखते हैं।

"तेरे परित्यक्त होने में हम उन सब लोगों को देखते हैं जो अपने परिवारों एवं समाजों द्वारा छोड़ दिये गये हैं तथा जिनपर किसी का ध्यान तक नहीं जाता। घावों से लहूलुहान तेरे शरीर में हम अपने उन भाइयों को देखते हैं जिन्हें रास्तों में मरने के लिये छोड़ दिया गया है और जो हमारी लापरवाही और हमारी उदासीनता के परिणामस्वरूप विरूपित हो गये हैं। प्रभु, तेरी प्यास में हम करुणामय पिता ईश्वर की प्यास को देखते हैं जिन्होंने सम्पूर्ण मानवजाति का आलिंगन किया तथा चाहा की वह क्षमा प्राप्त कर मुक्ति की हकदार बन सके।"  

क्रूसित येसु से अपनी प्रार्थना जारी रखते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "तुझमें, ईश्वर के दिव्य प्रेम, हम अपने प्रताड़ित भाइयों एवं बहनों को देखते हैं, हमारी आँखों के सामने और बहुत बार तो हमारी सहअपराधिक चुप्पी के सामने, विश्वास के ख़ातिर, उनके सिर काटे दिये जाते और उन्हें क्रूस पर चढ़ाया दिया जाता है। प्रभु हमारे दिलों में विश्वास, आशा, उदारता एवं दुःख के भाव जगा ताकि हम अपने पापों पर पश्चाताप कर सकें जिनके कारण तुझे क्रूसित किया गया।     

"हमारे शाब्दिक मनपरिवर्तन को, हे प्रभु! तू जीवन एवं कार्यों के मनपरिवर्तन में परिणत कर दे। हम निरन्तर तेरे विरूपित मुखमण्डल की याद करते रहें ताकि उस भयानक कीम़त को कदापि न  भूलें जो तुझे हमारी मुक्ति के लिये चुकानी पड़ी। क्रूसित येसु, हमारे विश्वास को सुदृढ़ कर जिससे हम प्रलोभनों के आगे कभी न झुकें।

"हममें उस आशा को अनुप्राणित कर जो संसार के माया-मोह के बीच भी नहीं खोती। उस उदारता को बरकरार रख जो भ्रष्टाचार एवं सांसरिकता से भ्रमित नहीं होती। प्रभु हमें सिखा कि क्रूस ही पुनःरुत्थान का रास्ता है। हमें सिखा कि गुड फ्रायडे ईस्टर के प्रकाश का रास्ता है।"       








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