2015-03-30 15:31:00

विनम्रता एवं सेवा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 30 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 29 मार्च को खजूर रविवार के पावन अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा उसके अंत में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन में उन्होंने येसु की विनम्रता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ″हमने फिलिप्पीयों के नाम संत पौलुस के पत्र से लिया गया पाठ पढ़ा जो येसु की विनम्रता को प्रस्तुत करता है और जो कि इस समारोह का केंद्र बिन्दु है ″उन्होंने अपने को दीन बना लिया।″ (फ़िलि. 2꞉8)

संत पापा ने कहा, ″ये वाक्य हमें ईश्वर के रास्ते तथा ख्रीस्तीयों के रास्ते को दिखलाता है जो दीनता का रास्ता है। एक ऐसा रास्ता जो हमेशा हमें आश्चर्यचकित करता तथा व्यथा से भर देता है।″

दीनता सबसे पहले ईश्वर का रास्ता है, ईश्वर ने अपने को दीन बनाया ताकि वे मनुष्य की निष्ठाहीनता से उन्हें ऊपर उठाकर मानवजाति के साथ चल सकें। जब हम निर्गमन ग्रंथ पढ़ते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इस्राईली लोगों द्वारा निंदा किया जाना प्रभु के लिए कितना अपमानजनक था। मूसा, नेताओं तथा जिन लोगों ने उन्हें मिस्र की दासता से मुक्त कर मरुस्थल पार करते हुए प्रतिज्ञात देश ले चलने का प्रयास किया उन सभी को लोगों की बड़ी आलोचना और कुड़कुड़ाहट का सामना करना पड़ा जो अंततः ईश्वर के विरूद्ध ही था।

संत पापा ने कहा कि इस पुण्य सप्ताह में जो हमें पास्का की ओर ले चलता है हम येसु की विनम्रता के इस रास्ते पर चिंतन करें क्योंकि मात्र ऐसा कर ही हम इस सप्ताह को पवित्र कर सकते हैं।

नेताओं तथा जनता द्वारा येसु का तिरस्कृत किये जाने पर हम चिंतन करें। बारहों में से एक यूदस ने ताम्बे के तीस सिक्कों में येसु को बेचकर उनके साथ विश्वासघात किया। शिष्य द्वारा परित्यक्त येसु गिरफ्तार होकर एक अपराधी की तरह महासभा के सामने लाये गये जहाँ उन्हें प्रांणदण्ड दिया गया, उन्हें पीटा तथा अपमानित किया गया। शिष्यों में से एक पेत्रुस अर्थात् चट्टान ने झूठ बोलकर येसु को तीन बार अस्वीकार किया। भीड़ ने अभियोग लगाया, नेताओं ने उन्हें उकसाये। उन्होंने बराबस को मुक्त करने एवं येसु को क्रूस पर लटकाने की मांग की। नेताओं का उपहास, बैंगनी वस्त्र पहनाने तथा येसु के सिर पर कांटो का मुकुट रखने पर हम चिंतन करें।

इतना सब के बाद येसु भारी क्रूस ढोते हुए अत्यन्त पीड़ा दायक यात्रा तय कलवारी पहाड़ पर चढ़े, जहाँ जनता एवं उनके नेताओं ने उन्हें राजा एवं ईश्वर का पुत्र कह कर उनकी हंसी उड़ायी।

संत पापा ने कहा, ″यही ईश्वर का रास्ता है दीनता का रास्ता। यह येसु का रास्ता है इसके सिवा उनका कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अपमान से रहित कोई विनम्रता नहीं है।″

विनम्रता के इस रास्ते का पूर्णरूपेण अनुसरण करते हुए ईश पुत्र ने ″दास का रूप धारण″ किया। (फिलि. 2꞉7) संत पापा ने दीनता का दूसरा अर्थ सेवा बतलाया। उन्होंने कहा, ″इसका अर्थ है अपने आपको खाली कर ईश्वर के लिए जगह बनाना। जैसा कि बाईबिल कहता है अपने आपको खाली कर देना। यही सबसे बड़ी दीनता है।

एक अन्य रास्ता है जो ख्रीस्त के रास्ते के विपरीत है। सांसारिकता का रास्ता, जो इस संसार का है। दुनिया मिथ्याभिमान, घमंड, सम्पन्नता आदि का रास्ता दिखलाती है। निर्जन प्रदेश में शैतान ने येसु को भी ये रास्ते दिखलाये किन्तु येसु ने तुरन्त उनका बहिष्कार कर दिया। उनके साथ हम भी इन प्रलोभनों पर विजय पायें न केवल विशेष अवसरों पर किन्तु अपने प्रत्येक दिन के जीवन में। इस प्रकार के सच्चे उदाहरण हम बीमार, बुजुर्गों तथा विकलांग लोगों की सेवा करनेवालों में पा सकते हैं।

संत पापा ने अत्याचार के शिकार लोगों की याद करते हुए कहा कि हम उन लोगों की याद करते हैं जो सुसमाचार के प्रति विश्वस्त होने के कारण अपमानित किये जाते हैं तथा उसकी कीमत उन्हें व्यक्ति रूप से चुकानी पड़ती है। हम उन लोगों की भी याद करते हैं जो ख्रीस्तीय होने के कारण सताये जाकर शहीद हो गये हैं। उन्होंने येसु का परित्याग करने से इन्कार किया जिसके कारण उन्हें अपमानित होकर अपनी प्रतिष्ठा खोनी पड़ी।

संत पापा ने विश्वासियों से अपील करते हुए कहा, ″हम हमारे प्रभु तथा मुक्तदाता के प्रति प्रेम के कारण दीनता के पथ पर दृढ़ बने रहें। वही प्रेम हमारा मार्ग दर्शन तथा शक्ति प्रदान करेगा क्योंकि जहाँ वे हैं हम भी वहीं होंगे।″(यो.12꞉26)

ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा ने सभी विश्वासियों का अभिवादन किया तथा जहाज दुर्घटना में मारे गये विद्यार्थियों के लिए प्रार्थना करते हुए देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के पश्चात् उन्होंने येसु के दुखभोग एवं पुनरुत्थान के रहस्य पर चिंतन करने हेतु सभी को पवित्र सप्ताह की शुभकामनाएँ दी।

 

 








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