2015-03-23 15:05:00

येसु को देखना


वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 मार्च को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

चालीसा काल के इस पाँचवें रविवार में सुसमाचार लेखक संत योहन ने जिज्ञासा भरी बातों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है जिसमें कुछ यूनानी तथा यहूदी जो पास्का पर्व के लिए येरूसालेम आये थे ″उन्होंने फ़िलिप के पास आ कर यह निवेदन किया, महाशय! हम ईसा से मिलना चाहते हैं।″

संत पापा ने कहा कि उस पवित्र शहर में जब पिछली बार येसु वहाँ गये थे तब वहाँ बहुत सारे दीन और विनम्र लोग मौजूद थे जिन्होंने येसु को नाज़रेथ़ के नबी तथा प्रभु के संदेश वाहक मानकर उनका खुलकर स्वागत किया था किन्तु महायाजकों एवं जनता के नेताओं ने उन्हें विधर्मी और राष्ट्र के लिए खतरा समझकर खत्म कर देना चाहा था। वहाँ कुछ यूनानी लोग भी उपस्थित थे जो येसु के बारे जानने के लिए इच्छुक थे ताकि कुछ नया विवाद खड़ा कर सकें जिसमें अंतिम घटना थी लाजरूस का पुनरुत्थान। इस घटना का व्यापक असर पड़ा।

″हम येसु को देखना चाहते हैं,″ संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में निहित यह एक ऐसा वाक्य है जो विश्वव्यापी सच्चाई को प्रकट करता है और यह दर्शाता है कि समय, अवधि तथा संस्कृति के साथ कई लोगों ने येसु के बारे सुना था और उनसे मिलना भी चाहते थे किन्तु उनसे नहीं मिल पाये थे।″  

संत पापा ने कहा, ″नबी के रूप में परोक्ष रूप से जवाब देना लोगों के मन में उन्हें देखने की लालसा उत्पन्न करती है। येसु भविष्यवाणी करते हैं जो उनकी पहचान को अभिव्यक्त करता है तथा उन्हें जानने का रास्ता दिखलाता है। येसु कहते हैं, ''वह समय आ गया है, जब मानव पुत्र महिमान्वित किया जायेगा।'' (यो.12꞉23) संत पापा ने कहा कि वह ‘समय’ क्रूस का है, बुराइयों के राजकुमार शैतान की पराजय का तथा ईश्वर के करुणावान प्रेम की परम जीत का। येसु यह घोषित करते हैं ″मैं, जब पृथ्वी के ऊपर उठाया जाऊँगा तो सब मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।″ (पद.32) इस अभिव्यक्ति के दो अर्थ हैं, पहला, येसु का क्रूसित रूप में उठाया जाना तथा दूसरा, पुनरुत्थान जिसके द्वारा पिता उन्हें सम्मानित करने वाले थे ताकि सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर उन्हें पिता तथा एक-दूसरे से मेल करा सकें। ‘क्रूस का समय’ मुक्ति इतिहास का सबसे अंधकारमय समय था किन्तु वह उन लोगों के लिए मुक्ति का स्रोत बन गया है जो उन पर विश्वास करते हैं।

निकट भविष्य में अपने दुःखभोग, मृत्यु एवं पुनरुत्थान की भविष्यवाणी में येसु साधारण एवं चिंतन योग्य एक प्रतीक का प्रयोग करते हैं, ″गेहूँ का दाना″ जो मिट्टी में गिरकर मर जाता है। इस प्रतीक में हम ख्रीस्त के कूस की दूसरी छवि को पाते हैं अर्थात् उपजाऊपन। ख्रीस्त का क्रूस फलदायक है। येसु की मृत्यु वास्तव में, नया जीवन का वह स्रोत है जो कभी नहीं सूखता। यह अपने आप में ईश्वरीय प्रेम का पुनः उत्पादन करने की क्षमता रखता है। बपतिस्मा संस्कार प्राप्त कर ख्रीस्तीय दाना बन जाते हैं तथा ईश्वर एवं पड़ोसियों के लिए अपना जीवन खो देते के द्वारा येसु के समान फल उत्पन्न कर सकते हैं। (पद. 25)

यही कारण है कि आज भी कई ऐसे लोग हैं जो येसु को देखना चाहते हैं। कुछ लोग बड़े होने के बाद ईश्वर की खोज करते हैं और कुछ लोग बचपन में ही धर्मशिक्षा ग्रहण करते किन्तु बाद में अपना विश्वास खो देते हैं, इसप्रकार कई लोगों ने अब तक व्यक्तिगत रूप से येसु से मुलाकात नहीं किया है। संत पापा ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए हम तीन वस्तुएँ अर्पित करते हैः सुसमाचार, क्रूस तथा हमारे विश्वास का साक्ष्य, साधारण किन्तु उदार। सुसमाचार जिसके माध्यम से हम येसु से मुलाकात कर सकते हैं उन्हें सुन सकते तथा उन्हें पहचान सकते हैं। क्रूस जो येसु का प्रतीक है जिन्होंने अपने आप को हमें दे दिया तथा विश्वास का साक्ष्य जो उदार भ्रातृत्व के सामान्य चिन्हों में प्रकट होता है। हमारे जीवन में मुख्य रूप से, हमारी कथनी एवं करनी तथा हमारे विश्वास एवं जीवन में सामंजस्य होनी चाहिए।

संत पापा ने माता मरिया से प्रार्थना की कि माता मरियम हमें सुसमाचार, क्रूस तथा विश्वास का साक्ष्य इन तीनों चीजों को लेकर आगे बढ़ने में हमारी मदद करे। वे हमें येसु के क्रूस एवं पुनरुत्थान के रास्ते पर आगे बढ़ने में सहायता दे।

इतना कह कर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के उपरांत संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों तथा पयटकों का अभिवादन किया। उन्होंने खराब मौसम के बावजूद उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें बधाई देते हुए कहा, ″मौसम ख़राब होने के बावजूद आप बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। आप बड़े साहसी हैं, मैराथन दौड़ के प्रतिभागी भी साहसी हैं, मैं सस्नेह आप सभी का अभिवादन करता हूँ।″

संत पापा ने नेपल्सवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा, ″कल अपनी प्रेरितिक यात्रा पर मैं नेपल्स में था। मैं नेपल्स वासियों के भव्य स्वागत के लिए उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ।″ 

संत पापा ने ‘विश्व जल दिवस’ की याद दिलाते हुए कहा कि आज संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित विश्व जल दिवस है। जल हमारे जीवन के लिए एक मौलिक तत्व है जिसकी सुरक्षा तथा आदान-प्रदान करने की हमारी क्षमता पर मानवजाति का भविष्य टिका है। अतः संत पापा ने विश्व समुदाय से आग्रह किया कि पृथ्वी के जल का उचित संरक्षण किया जाए तथा सार्वजनिक हित के अधिकार के प्रयोग में किसी के प्रति भेदभाव न बरता जाए। असीसी के संत फ्राँसिस के साथ हम जल द्वारा प्रभु की स्तुति करें जो अत्यन्त व्यवहारिक, सरल, मूल्यवान तथा शुद्ध है।

इसके बाद संत पापा ने कलीसिया की पुरानी परम्परा दोहराते हुए बपतिस्मा संस्कार ग्रहण करने वाले नव दीक्षितों को सुसमाचार की प्रति भेंट करते हुए कहा, ″इस प्रांगण में उपस्थित आप सभी को मैं एक उपहार भेंट करना चाहता हूँ, सुसमाचार की एक छोटी प्रति।″ उन्होंने कहा कि यह एक सुन्दर चिन्ह है जो येसु को प्रसन्न करता है। वास्तव में वे ही लोग जरूरतमंद समझे जाते हैं जो ईश वचन को ग्रहण करते हैं। आप इसे ग्रहण करें, अपने साथ रखें तथा इसका अध्ययन करें क्योंकि ईश वचन हमारी राहों का दीपक है।

अंत में संत पापा ने शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए सभी से प्रार्थना का अनुरोध किया।

 








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