2015-03-18 12:00:00

गिरजाघर को सदैव खुला रहना चाहिये, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 18 मार्च 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि गिरजाघर "येसु का घर है" तथा ख्रीस्तीयों को सभी का स्वागत किया जाना चाहिये, उन लोगों का भी जो स्वतः वहाँ तक आने में समर्थ नहीं हैं।

मंगलवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "जो लोग दुःखी हैं अथवा "आत्मा से बीमार हैं" या फिर जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सी ग़लतियाँ की हैं वे एक बिन्दु पर पवित्रआत्मा की प्रेरणा से प्रेरित होकर गिरजाघर जाते हैं किन्तु कभी-कभी उनका स्वागत नहीं किया जाता। प्रायः, ये लोग स्वागत न करने वाले तथा न्याय करनेवाले ख्रीस्तीय समुदाय को  तथा गिरजाघर के दरवाज़ों को अपने प्रति बन्द पाते हैं।"   

स्वागत के लिये तैयार नहीं रहनेवाले ख्रीस्तीयों के वकतव्यों को दुहराते हुए सन्त पापा ने कहा कि वे प्रायः कहते हैं, "तुमने ग़लती की है इसलिये तुम यहाँ प्रवेश नहीं पा सकते।"

सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार हम लोगों को कलीसिया से दूर कर देते हैं। उन्होंने कहा, "हममें से किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि हम उस पुरुष अथवा उस स्त्री के समक्ष दरवाज़ों को बन्द कर दें जो पवित्रआत्मा की प्रेरणा पाकर गिरजाघर तक चले आते हैं।" उन्होंने कहा, "वे इसलिये आ सके क्योंकि पवित्रआत्मा ने उन्हें प्रेरित किया तथा गिरजाघर तक चलकर आने का साहस प्रदान किया।"

सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएँ उनके लिये बहुत निराशाजनक हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गिरजाघर येसु का घर का है जिसके भीतर आने के लिये किसी को भी वंचित नहीं किया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा, "वह येसु का घर है और येसु सबका स्वागत करते हैं। वे केवल उनका स्वागत नहीं करते अपितु उनकी तलाश करते हैं ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने योहन रचित सुसमाचार के वृतान्त के अनुसार लकुवे के रोगी को ढूँढ़ा था। येसु उन्हें धमकाते नहीं हैं क्योंकि वे घायल हैं बल्कि उन्हें अपने कन्धों पर उठाते और चंगाई प्रदान करते हैं। यही है ख्रीस्तीय दया जिसके वरण की हम सबसे अपेक्षा की जाती है।"   








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