2015-03-17 12:02:00

धार्मिक कट्टरपंथी धर्म का अपमान करते, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 मार्च सन् 2015 (सेदोक):  सन्त पापा फ्राँसिस ने नाईजिरिया के धर्माध्यक्षों को एक पत्र लिखकर कहा है कि धार्मिक कट्टरपंथी धर्म का अपमान करते तथा स्वार्थ हेतु धर्म को अपनी विचारधारा बनाकर उसे भ्रष्ट करते हैं।

चालीसाकाल के उपलक्ष्य में नाईजिरिया के काथलिक धर्माध्यक्षों को लिखे पत्र में सन्त पापा फ्राँसिस ने राष्ट्र में हुए आर्थिक विकास पर सन्तोष व्यक्त किया किन्तु इसके साथ-साथ राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत धर्मान्धता, धार्मिक कट्टरपंथ, अतिवाद एवं आतंकवाद से जुड़ी समस्याओं पर गहन चिन्ता व्यक्त की।

सन्त पापा ने लिखा, "हालांकि नाईजिरिया अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे अधिक विकसित एवं व्यावसायिक रूप से शक्तिशाली देश है तथापि धार्मिक कट्टरपंथ एवं अतिवाद से जुड़ी समस्याओं से वह जूझ रहा है। अनेक नाईजिरियाई लोग मारे गये हैं, घायल और विकलांग हो गये हैं, कईयों का अपहरण कर लिया गया है तथा उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई है। लोग अपनी भूमि, अपना घर-परिवार, अपनी जीविका के साधन तथा अपने अधिकार एवं प्रतिष्ठा से वंचित कर दिये गये हैं। ख्रीस्तीय और मुसलमान दोनों धर्मों के विश्वासियों को धार्मिक कट्टरपंथ का शिकार बनना पड़ा है। उन लोगों की प्रताड़ना सहनी पड़ी है जो धार्मिक होने का दावा करते हैं किन्तु धर्म का अपमान करते हैं, वे अपने स्वार्थ के लिये धर्म को अपनी विचारधारा बनाकर प्रस्तुत करते हैं।"

नाईजिरिया के धर्माध्यक्षों को तथा सभी पीड़ितों को अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देकर सन्त पापा ने कहा कि वे प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं कि प्रभु ख्रीस्त की शांति उनके साथ रहे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि "शांति का अर्थ केवल संघर्ष की अनुपस्थिति, अथवा किसी राजनैतिक समझौते का परिणाम अथवा भाग्यवादी आत्मसमर्पण ही नहीं है अपितु हमारे लिये शांति वह वरदान है जो स्वयं प्रभु येसु से हमें मिला है।"  

धर्माध्यक्षों को सन्त पापा ने परामर्श दिया कि शांति और पुनर्मिलन की स्थापना के लिये वे प्रतिदिन साहसिक प्रयास करें।

 








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