2015-03-13 15:45:00

संत पापा के परमधर्मपीठीय काल के दो वर्ष


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 13 मार्च, 2015 ( सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस के पोप जाने के दो वर्ष परमधर्मपीठीय काल में लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित किया है कि वे संत योहन बपतिस्ता के समान जीवन बितायें जो दूसरों को रास्ता दिखलाते हैं।

उक्त बातें उत्तरी इटली के ईशशास्त्र विभाग के डीन मान्यवर मपियरअंजेलो सेक्विरी ने उस समय कहीं जब उन्होंने 13 मार्च को संत पापा फ्राँसिस के परमधर्मपीठीय काल के दो वर्ष पूरे होने पर वाटिकन रेडियो में एक भेंटवार्ता दी।

उन्होंने कहा कि संत पापा का प्रयास रहा कि कलीसिया दुनिया को येसु का साक्ष्य दे। संत पापा ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल में  इस बात पर बल दिया है कि हमे ईश्वर के सम्मुख खुल रहे पारदर्शी रहें इसके कि कलीसिया के संगठन के बारे में गपशप करते रहें ।

उन्होंने यह भी कहा कि कलीसिया में 80 प्रतिशत बातें चर्च के संगठन के बारे में होती है और केवल 20 प्रतिशत बातें काम की बातें। आज ज़रूरत है कि हमें ठीक इसके विपरीत कार्य करें। संत पापा हमें आमंत्रित करते हैं कि हम अपनी कुछ पुरानी आदतों का त्याग करें और सुसमचार की सेवा में अपनी शक्ति को लगायें।

उधर उरबानो युनिवर्सिटी के राजनीति और सामाजिक विज्ञान के संयोजक लुईस अलेपियेरी ने कहा कि संत पापा के दो वर्ष के कार्यकाल में निश्चय ही उन्होंने लोगों का ध्यान ग़रीबों तथा ज़रूरतमंदों की ओर खींचा है।

संत पापा फ्राँसिस चाहते हैं कि कलीसिया गरीबों की कलीसिया बने। उनके लिये यह उनके लिये यह कोई निरर्थक चुनाव नहीं है पर एक स्पष्ट मूल्य है, एक चुनाव है, ऐसा चुनाव जो व्यक्ति को प्रेरित करता है ताकि वह करीबों की रक्षा करे।

संत पापा फ्राँसिस ने आधुनिक अर्थव्यवस्था की आलोचना की है क्योंकि यह ख्रीस्तीय मूल्यों के अनुसार नहीं है।

एक अभिनेता मोनी ओवादिया ने कहा कि जब भी संत पापा अपना संदेश देते हैं तो वे मानव को केन्द्र में रखते हैं। वे चाहते हैं कि विकास के केन्द्र में हो मानव मर्यादा।  मोनी का मानना है कि संत पापा के संवाद में हास्य भाव और सत्य की शक्ति निहित है जो उन्हें आत्मीय और प्रभावकारी बनाती  है। 
 

 

 

 

 








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