पुणे, भारत, शनिवार, 7 मार्च 2015 (सीएनए)꞉ पुणे के धर्माध्यक्ष थॉमस दाब्रे ने ख्रीस्तीयों को प्रोत्साहन दिया है कि वे रंगों के त्यौहार होली के अवसर पर हिन्दूओं के साथ मिलकर खुशियाँ मनायें क्योंकि इसके द्वारा आध्यात्मिक एवं सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा।
परम्परा अनुसार होली हिन्दुओं का त्यौहार है किन्तु इसे कई ईसाई और मुसलमान भी मनाते हैं। त्यौहार की विशेषता है कि इसे एक-दूसरे पर रंग लगाकर मनाया जाता है। एक दूसरे को रंगने का अर्थ है आपसी भेदभाव को भूल जाना। यह त्यौहार मेल-मिलाप की भावना को भी बढ़ावा देता है।
होली में आनन्द, उमंग और स्वतंत्रता जैसी महत्वपूर्ण भावनाओं पर ग़ौर करते हुए धर्माध्यक्ष दाब्रे ने कहा, ″यह दिन आनन्द और खुशी का संदेश देता है। यह हमें शिक्षा देता है कि धर्म लोगों के लिए आनन्द और खुशी का स्रोत है।″
धर्माध्यक्ष ने कहा कि होली एक पवित्र त्यौहार है जिसे आनन्द के साथ मनाया जाना चाहिए। हर धर्म को मानने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके होते हैं उनका पालन किया जाना चाहिए। सच्चा आनन्द जो धर्मों से प्राप्त होता है उसे दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए अपनी है न कि अपनी पसंद को उनपर थोपता है।
ज्ञात हो कि होली का त्यौहार होलिका दहन की पौराणिक कथा पर आधारित है जो सत्य की विजय का प्रतीक है। भारत में इस त्यौहार को एक-दूसरे पर रंग लगाकर आनन्द और मित्रता के साथ मनाया जाता है।
धर्माध्यक्ष थॉमस दाब्रे ने कहा कि धर्म से स्वतंत्रता की मुक्ति करनेवाला अनुभव होना चाहिए और इस बात का विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में तथा भारत में धर्म से जुड़े आतंकवाद एवं अतिवाद के संदर्भ में अत्यधिक महत्व है।
धर्माध्यक्ष ने खेद प्रकट किया कि आज विश्व में धर्म के नाम पर कई चरमपंथी दल उभर कर सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में होली हमें एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है कि धर्म सच्चे आनन्द एवं स्वतंत्रता का प्रचार करे।
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