2015-02-25 11:51:00

श्रोताओं के पत्र


श्रोताओं के पत्र

पत्र- 15.2.15

प्रिय फादर, आपके रविवारीय चिंतन के लिए धन्यवाद। मैं फादर जयाराज तमिलनाडू से हूँ किन्तु अण्डमान में कार्यरत हूँ तथा राँची समुदाय को मदद कर रहा हूँ मैं अण्डमान में महिला सशक्ति-करण हेतु एनजीओ का निर्देशक हूँ। यहाँ अधिकांश लोग राँची के हैं। फादर सिप्रियन ने आपका परिचय मुझ से कराया है, मैं उनके प्रति कृतज्ञ हूँ। क्या आप मेरे लिए रविवारीय चिंतन भेज सकते हैं। भाषा सीखने का प्रयास करते हुए यह मेरे लिए बड़ी मदद सिद्ध होगी, बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया मुझे अपनी प्रार्थनाओं में याद करें। प्रार्थना एवं प्रेम सहित, फादर जोय।

फादर जयाराज, अण्डमान।

पत्र- 28.1.15

आदरणीय प्रसारक महोदय, मैं आपके बेहद पुराने पाठकों में से एक हूँ। आपके द्वारा नियमित भेजा जाने वाला कार्यक्रम सम्बन्धी मेल को, रोज देखता और पढ़ता हूँ। रिपोर्ट बेहद ज्ञानवर्धक होती है। प्रस्तुत साईट भी देश-विदेश के प्रमुख जानकारियों से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाती है। इस बार निवेदन कुछ नए सामग्रियों के लिए कर रहा हूँ। खुशी होगी यदि हमेशा की तरह स्नेह को यूँ ही बरक़रार रखते हुए कुछ सामग्री भेजवाने की कृपा करेंगे। एक बार आपके तमाम सहयोगों के लिए आपको ढेरों धन्यवाद।

कृपा राम चौहान, बाड़मेर चौहटन, राजस्थान।

19.1.15

मांस का एक टुकड़ा अगर कहीँ रख दिया जाये, तो कुछ समय बाद वह सड़ने लगता है और उसमेँ कीड़े भी पड़ जाते है। इसके विपरीत हमारे शरीर मेँ जो मांस है, उसमेँ वर्षोँ कीड़े नहीँ पड़ते और न ही वह सड़ता है। शरीर के मांस मेँ प्राण-शक्ति अथवा अग्नि निहित है, परन्तु जो मांस का टुकड़ा कहीँ अन्यत्र रखा हुआ है, उसमेँ प्राण-ऊर्जा नहीँ है। ध्यान देने की बात है कि जिन लोगोँ का शरीर बेडोल हो जाता है, भूख कम हो जाती है, चेहरे की लालिमा कम हो जाती है, आंख की रोशनी कम हो जाती है, इन सबका एक ही कारण है कि उन अंगोँ मेँ प्राण-ऊर्जा की कमी हो गयी है। जानने योग्य बात है कि जीव को प्राण-ऊर्जा प्रकृति से प्राप्त होती है। हमारे शरीर को जितनी प्राण-ऊर्जा की जरुरत है, उतनी प्रकृति ने पहले से ही उसमेँ भर दी है। हमारा दायित्व है कि उसका संतुलन बनाये रखेँ। शरीर से प्रति क्षण ऊर्जा का क्षरण होता रहता है और उसे पूरा करने के लिए प्राणायाम की आवश्यकता होती है। योग और व्यायाम एवं प्राणायाम के माध्यम से ही हम प्राण-ऊर्जा को बढ़ा सकते है।

डॉ. हेमन्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिश्नर्स क्लब के अध्यक्ष, भागलपुर बिहार।

पत्र-13.1.15

प्रिय संपादक, मैं आप के सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ कि आप ने हमारे प्रयासों को बढ़ाया है। दक्षिण पंथी हिंदू संगठन द्वारा देश में हो रहे धर्म परिवर्तन और घर वापसी मुद्दे पर माननीय श्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने हेतु हमने एक खुला पत्र अभियान चालू किया है। यह अभियान भारत के 9 हिन्दी भाषी राज्यों में चलाया जाएगा किन्तु कई माध्यमों से हमने समूचे भारत को इसके लिए निमंत्रण दिया है। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी यदि आप इसे प्रकाशित करेंगे। हमारे संगठन का नाम है राष्ट्रीय ईसाई महा संघ। इसका मुख्य उद्देश्य है अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय समुदाय में सामाजिक राजनीतिक नेतृत्व का विकास करना। धन्यवाद।

फादर आनन्द मुतुंगल, पत्रकार कॉलोनी, राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के राष्ट्रीय संचालक, लिंक रॉड-3 भोपाल।

 

 








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