2015-02-25 20:25:00

उदासीनता के प्रलोभन से बचें


वाटिकन सिटी, 25 फरवरी, 2015 (सेदोक,वीआर) मित्रो, हम आपको सूचित कर दें कि संत पापा फ्राँसिस चालीसाकालीन आठ दिवसीय वार्षिक आध्यात्मिक साधना कर रहे हैं। वे रोमी कूरिया के सदस्यों के साथ रोम के निकट अरिच्चिया नामक के डिवाइन मायेस्त्रो आध्यात्मिक साधना केन्द्र में प्रार्थना और चिन्तन कर रहे हैं। कारमेल मठवासी पुरोहित फादर ब्रूनो सेकोन्दीन आध्यात्मिक साधना का संचालन कर रहें हैँ। संत पापा के अनुपस्थित होने के कारण संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में होनेवाला बुधवारीय आमदर्शन समारोह स्थगित रहेगा। और इसलिये संत पापा की धर्मशिक्षा के बदले हम अपने श्रोताओं को संत पापा द्वारा प्रेषित चालीसाकाल के संदेश की मुख्य बातों को प्रस्तुत कर रहे हैं।

मित्रो हम आपको बतला दें कि वर्ष 2015 के चालीसेकाल के लिये संत पापा ने जो संदेश दिये उसकी बिषयवस्तु थी " अपना ह्रदय मजबूत करो " ।

संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि चालीसाकाल पूरी काथलिक कलीसिया के लिये नवीनीकरण का समय है। यह कृपा का समय है। इस कृपापूर्ण समय में ईश्वर हमसे उन बातों की आशा करते हैं जिन्हें उन्होंने हमें पहले ही प्रदान किया है। ईश्वर ने हममें से प्रत्येक जन को प्यार किया। और इसी प्रेम के कारण वे हमारे प्रति उदासीन कदापि नहीं हो सकते हैं।

आज विश्व एक बड़ी समस्या है दूसरों के प्रति उदासीन हो जाना । उदासीनता एक ऐसा प्रलोभन है जिसके कारण हम अपने पड़ोसी के साथ-साथ ईश्वर के प्रति भी उदासीन हो जाते हैं।

आज ज़रूरत है एक नवीनीकरण की ताकि हम अपने प्रति  भी उदासीन होने से बच जायें। उदासीनता से बचने के लिये तीन उपाय हैं जो पवित्र धर्मग्रंथ बाइबल की दिव्य पंक्तियों में पाते हैं। पहली बात है जिसे प्रेरित संत पौलुस कुरिन्थियों को लिखे पत्र कहते हैं ‘जब एक यातना झेलता है तो उसके साथ सब यातनायें झेलते हैं’। पूरी कलीसिया दुःख झेलती है। इस बात पर चिन्तन करने से इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि जो कृपायें येसु कलीसिया को यूखरिस्तीय बलिदान में प्रदान करते हैं उससे कलीसिया का प्रत्येक व्यक्ति भी लाभान्वित होता है। चालीसा एक ऐसा समय है जब कलीसिया का प्रत्येक व्यक्ति येसु को अपने दिल में जगह देता है, येसु को सेवा करने का मौका देता है और इस तरह से वह प्रत्येक दिन येसु के समान बनता जाता है। वह येसु का अभिन्न अंग बन जाता है। इस लिये यदि येसु के शरीर का एक भी भाग दुःख उठाता है तो उसके साथ सब दुःख उठाते हैं और यदि एक भाग सम्मानित होता है तो उसके साथ अन्य सभी सम्मानित होते हैं।

चालीसाकालीन चिन्तन में पवित्र धर्मग्रंथ की जो दूसरी बात व्यक्ति को मदद कर सकती है वह है उसे हम उत्पति ग्रंथ में पाते हैं। इसमें कहा गया है " तुम्हारा भाई कहा है ? "  (उत्पति ग्रंथ 4­,9)

उदासीनता के प्रलोभन को अपने पड़ोसी के प्रति प्रेम के द्वारा जीता जा सकता है। अविला की संत तेरेसा ने कहा था कि " स्वर्गीय आनन्द तब तक भी अधुरा है जब तक कि दुनिया का एक व्यक्ति भी दुःखी है और इसलिये मैं तब तक स्वर्ग में यूँ ही पड़ी नहीं रहूँगी पर कलीसिया और अन्य आत्माओं के लिये कार्य करुँगी।"  

तीसरी बात जो हमें उदासीनता के प्रलोभन से विजयी होने में मदद करेगी, वह है " हम अपने ह्रदय को मजबूत करेंऍऍ  (जेम्स 5,8)। उदासीनता का शिकार सिर्फ़ मानव समान नहीं है पर व्यक्तिगत रूप से भी हम कई बार प्रलोभन में फँस जाते हैं। हम कई बार इस बात का अनुभव करते हैं कि हम मानव यातना के सामने निहत्थे हो जाते हैं। ऐसे समय में हम प्रार्थना करें। हम दूसरों की मदद करें। हम पश्चात्ताप करें। दया से पूर्ण ह्रदय कमजोर नहीं है वह ह्रदय से मजबूत है।

हम प्रलोभन दाता के समक्ष मजबूत बनें और ईश्वर के प्रति खुला रहें। हम ईश्वर की आत्मा को अपने दिल को छूने दे ताकि वह उसी के प्रेम को दूसरों को मुक्त रूप से बाँट सके और येसु से लगातार यह प्रार्थना करें कि वे हमारे दिलों को अपने समान बनायें और हम उन लोगों को बचाने में सक्ष्म हो सकें जो उदासीनता के प्रलोभन में फँस जाते हैं।

 

 








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