2015-02-18 13:08:00

भाई - बहन की भूमिका


वाटिकन सिटी, बुधवार  18 फरवरी,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में अगले वर्ष परिवार की बुलाहट और मिशन विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।  आज हम परिवार में  भाई –बहनों की भूमिका पर चिन्तन करें।

एक परिवार में भाई-बहन के रूप में घर के अन्य सदस्यों के साथ आगे बढ़ना मानव जीवन का एक अनोखा अनुभव है। परिवार में भाई-बहन के रूप में बढ़ने की पूर्णता येसु ख्रीस्त में होती है जो हमारे लिये भाई बन गये और हमें ईश्वर की संतान बनाया।

बाईबल में काइन और हाबिल की कहानी हमें इस बात की जानकारी देती है कि सचमुच हम परिवारों में अपने भाई – बहनों के रखवाले हैं।

परिवारों में हम इस बात को सीखते हैं कि हम किस तरह से एक-दूसरे के अच्छे भाई-बहन हो सकते हैं और इस तरह से पूरे समाज के लिये एक वरदान बन सकते हैं।

येसु ख्रीस्त से मिली कृपा हमें इस बात के लिये प्रेरित करती है कि हम एक-दूसरे के भाई-बहन बनें, मतभेदों और विभाजनों को दूर करें और एक ऐसे समाज के निर्माण लिये कार्य करें जहाँ सच्ची स्वतंत्रता और समानता हो।

परिवारों में आपसी प्रेम या भ्रातृप्रेम का अनुभव हमें तब होता है जब हम बच्चों के प्रति अपना स्नेह दिखाते हैं विशेष कर के ऐसे अवसरों पर जब वे कमजोर हों।

येसु हमें इस बात की शिक्षा देते हैं कि हम इसी पारिवारिक स्नेह को दूसरों को भी दिखायें विशेष करके उन्हें जो ज़रूरतमंद हैं।

आज हम प्रार्थना करें हमारा समाज भ्रातृभाव के इस गुण में आगे बढ़ें और परिवार इस ईश्वरीय वरदान की सराहना करे और पूरे समाज में एक –दूसरे को भाई –बहन के रूप सम्मान देने और उनकी मदद करने की भावना बढ़ती जाये।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 








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