वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 फरवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इन रविवारों के लिए निर्धारित सुसमाचार पाठों में संत मारकुस सभी प्रकार की बुराईयों के विरूद्ध शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से पीड़ित लोगों के प्रति येसु की कार्रवाई को प्रस्तुत करते हैं꞉ अपदूतग्रस्त, बीमार तथा पापी। येसु स्वतः को उस व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं जो जहाँ भी हो बुराई पर विजय प्राप्त करता है।″
संत पापा ने कहा कि आज के सुसमाचार पाठ में, येसु का संघर्ष एक प्रतीकात्मक मामला है क्योंकि रोगी कोढ़ की बीमारी से पीड़ित था। कोढ़ एक संक्रामक रोग है तथा यह व्यक्ति के शरीर को विरूपित कर देता है और यही अशुद्धता का प्रतीक है। उन दिनों कोढ़ से ग्रसित व्यक्ति को शहर से बाहर रहकर, उधर से गुजरने वालों को सचेत करना पड़ता था। वे नागरिकों एवं धार्मिक समुदाय द्वारा हाशिये पर जीने वाले और एक चलती-फिरती लाश के समान पहचाने जाते थे।
संत पापा ने येसु की चंगाई प्रक्रिया पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, ″चंगाई की प्रक्रिया तीन चरणों में सम्पन्न हुई꞉ रोगी की अपील, येसु का प्रत्युत्तर तथा चमत्कारी चंगाई का परिणाम। कोढ़ी ने घुटनों के बल येसु से यह कहते हुए निवेदन किया, ″यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।″ (पद 1꞉40)
संत पापा ने कहा, ″दीनता एवं दृढ़तापूर्ण प्रार्थना का उत्तर येसु अवश्य देते हैं और पूरी सहानुभूति के साथ देते हैं। ‘सहानुभूति’ शब्द का अर्थ बहुत गहरा है, इसका अर्थ है ‘दूसरे व्यक्ति के दुःख में दुःखी होना’। येसु का हृदय मनुष्यों के प्रति पिता ईश्वर की करुणा को प्रकट करता है। हम जिसके करीब जा सकते उसे छू भी सकते हैं। यह ख़ास रूप से महत्वपूर्ण है। येसु ने हाथ बढ़ाकर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, ''मैं यही चाहता हूँ- शुद्ध हो जाओ''। (पद 42) उसी क्षण उसका कोढ़ दूर हुआ और वह शुद्ध हो गया। ईश्वर की करुणा सभी सीमाओं को तोड़ देती है, उनका हाथ कोढ़ी व्यक्ति का स्पर्श करता है। वह कोई सुरक्षित स्थान नहीं था और न ही किसी माध्यम द्वारा सम्पन्न किया गया किन्तु येसु ने सीधे रूप में छूत की बुराई का खुलासा किया। इस प्रकार हमारी बुराई भी येसु से सम्पर्क का स्थल बन जाती है। येसु हम से हमारी बीमार मानवीयता को लेते हैं और हम उनसे उनकी स्वस्थ एवं चंगी मानवीयता को लेते हैं।
संत पापा ने कहा कि ऐसा हरेक बार होता है जब हम विश्वास के साथ संस्कारों को ग्रहण करते हैं। येसु हमारा स्पर्श करते तथा अपनी कृपा प्रदान करते हैं। हम, विशेष रूप से, मेल मिलाप संस्कार पर चिंतन करें जो हमें पाप रूपी कोढ़ से चंगाई प्रदान करता है।
सुसमाचार दिखलाता है कि ईश्वर हमारी बुरी परिस्थिति में ही सब कुछ सम्पन्न करता है। वह पीड़ा पर उपदेश नहीं देता और न ही उसे दुनिया के दुःख और मृत्यु से अलग करता है बल्कि उसे अपने ऊपर ले लेता है। मानव परिस्थिति के बोझ को अपने ऊपर लेता ताकि उसे समाप्त कर दे। हमें पूर्ण एवं निश्चित रूप से स्वतंत्र कर दे। इस प्रकार ख्रीस्त बुराई का सामना करते हैं तथा दुनिया में दुःख सहते हैं, उसके मालिक बनकर ईश्वर की करूणा द्वारा उस पर विजय हासिल करते हैं।
सुसमाचार पाठ जिसमें हम कोढ़ी की चंगाई की घटना को पाते हैं आज हमें संदेश देता है कि यदि हम येसु के सच्चे शिष्य बनना चाहते हैं तो हम एकता के सूत्र में बंधें, करुणामय प्रेम का माध्यम बनें तथा हर प्रकार के घेरों से बाहर आएँ। ख्रीस्त के शिष्य होने के लिए ग़रीबों और बीमारों से नजर मिलाने, कोमलता और सहानुभूति के साथ उनके पास आने, उनका स्पर्श एवं आलिंगन करने से न घबरायें। संत पापा ने कहा कि जो लोग गरीबों की मदद करते हैं वे उनके साथ नजर मिलाने से पीछे न हटें, उन्हें छूने से न डरें। हाथ जो मदद करता है वह भी आदान-प्रदान का एक माध्यम है। हमें भी उनके द्वारा स्वीकारे जाने की आवश्यकता है। जब हम किसी की मदद करते हैं और उनसे नजर मिलाते हैं तो हम उन्हें स्वीकार करते हैं। संत पापा ने चिंतन करने का आग्रह करते हुए कहा कि हम किस प्रकार मदद करते हैं? क्या दूर से, निकट से अथवा कोमलता के साथ? यदि बुराई संक्रामक है तो वह भी सही ही है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम में अच्छाई की मात्रा अधिक हो। हम अच्छाई के संक्रमण से संक्रमित हों।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।
संत पापा ने लूनार कैलेंडर को मानने वाले पूर्वी एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों में निवास रत लोगों को नये साल की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा, ″यह अवसर उन्हें सामाजिक जीवन के आधार एवं पारिवारिक जीवन के मूल्यवान संबंध, भ्रातृत्व प्रेम को पहचानने का आनन्दमय अवसर प्रदान करता है।″ यह अवसर व्यक्तियों एवं परिवारों के बीच सम्मान, न्याय एवं उदारता का संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
संत पापा ने नये कार्डिनलों के समारोही अनुष्ठान में भाग लेने आये सभी तीर्थयात्रियों को धन्यवाद दिया तथा उन सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने उन्हें यह अवसर प्राप्त करने में मदद प्रदान की।
अंत में संत पापा ने प्रार्थना हेतु अनुरोध करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।
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