2015-02-09 14:55:00

रोग के अर्थ एवं मूल्य पर चिंतन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 फरवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 8 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आज का सुसमाचार पाठ प्रस्तुत करता है कि विश्राम दिवस को सभागृह में शिक्षा देने के बाद येसु ने बहुत से रोगियों को चंगा किया।″

संत पापा ने कहा कि शिक्षा देना और चंगाई प्रदान करना, सार्वजनिक जीवन में येसु के मुख्य कार्य थे। शिक्षा द्वारा उन्होंने ईश राज्य का प्रचार किया तथा चंगाई द्वारा उन्होंने यह प्रकट किया कि ईश्वर का राज्य हमारे निकट है, वह हमारे ही बीच विद्यमान है। सिमोन पेत्रुस के घर में प्रवेश करते हुए जब येसु ने देखा कि उनकी सास बुखार के कारण बिस्तर पर पड़ी है तब उन्होंने शीघ्र उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए उसे चंगाई प्रदान किया। सूर्यास्त के बाद, विश्राम दिवस समाप्त हो जाने पर, लोगों ने रोगियों को येसु के पास लाया और येसु ने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से पीड़ित सभी लोगों को चंगा किया। पृथ्वी पर मुक्ति की घोषणा करने एवं उसे लोगों के बीच प्रकट करने के दौरान येसु ने उन लोगों पर विशेष सहानुभूति प्रदर्शित जो शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से घायल, ग़रीब, पापी, दबे हुए तथा बीमार थे एवं हाशिए पर जीवन यापन कर रहे थे अतः येसु शरीर और आत्मा के एक अच्छे चिकित्सक एवं भले समारी के रूप में प्रकट हुए। संत पापा ने कहा कि हमारे सच्चे मुक्तिदाता येसु हमें बचाते, हमारी देखभाल करते एवं हमें चंगाई प्रदान करते हैं।

ख्रीस्त द्वारा चंगाई प्रदान करने की सच्चाई, हमें रोग के अर्थ एवं उसके मूल्य पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है। यह हमें 11 फरवरी को धन्य कुँवारी मरियम के पर्व और विश्व रोगी दिवस का स्मरण दिलाती है। इस दिन को मनाने हेतु जो पहल की गयी है उस पर मैं अपनी आशीष प्रदान करता हूँ खासकर, रोम में 10 फरवरी को रखे गये जागरण प्रार्थना पर।

स्वास्थ्य सेवा संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जेगमंट ज़िमोस्की जो अभी पोलैंड में गंभीर रूप से बीमार हैं। उनके स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रार्थना करें क्योंकि उन्हें इस दिन के लिए तैयारी करनी थी पर वे अपनी पीड़ा के साथ हमें अपना समर्थन दे रहे हैं।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त का मुक्ति कार्य, पृथ्वी पर ही समाप्त नहीं हुआ किन्तु मनुष्यों के प्रति ईश्वर के प्रेम एवं कोमलता के प्रतीक कलीसिया द्वारा अब भी जारी है। अपने शिष्यों को मिशन पर भेजते हुए येसु उन्हें दोहरा आदेश देते हैं꞉ मुक्ति के सुसमाचार की घोषणा करने तथा रोगियों को चंगा करने का। (मती.10.7-8) इस शिक्षा पर विश्वस्त रहते हुए कलीसिया ने बीमारों की सेवा को मिशन का अभिन्न अंग बनाया है।

येसु ने कहा था, ″गरीब एवं रोगी तो बराबर तुम लोगों के साथ रहेंगे,″ (मती.26.11) उनके बतलाये मार्ग पर निरंतर चलते हुए कलीसिया यह विश्वास करती है कि रोगी से मुलाकात करना, ख्रीस्त के साथ मुलाकात करने, उनका स्वागत तथा उनकी सेवा करने का एक सुन्दर अवसर है।  बीमारों को चंगा करना, उन को स्वीकारना तथा सेवा प्रदान करना ख्रीस्त की सेवा करना है क्योंकि पीड़ा सह रहे लोग ख्रीस्त के शरीर के अंग हैं।

यह आज भी घटित हो रहा है विज्ञान द्वारा कई उपलब्धियाँ हासिल करने के बावजूद, आंतरिक अशांति तथा शारीरिक पीड़ा के कारण, बीमारी एवं मृत्यु के अर्थ पर कई गंभीर सवाल उठाये जा रहे हैं। ये अस्तित्व संबंधी सवाल हैं जिनका उत्तर कलीसिया को विश्वास के आलोक में देना चाहिए। क्रूस जो पिता ईश्वर के सभी मुक्ति रहस्यों प्रकट करता और जो मनुष्यों के प्रेम के खातिर उनके एकलौटे पुत्र को अर्पित करने का स्मरण दिलाता उसे अपनी नज़रों के सामने रखें। अतः हम सभी पीड़ितों एवं उनकी मदद करने वाले परिवार के सदस्यों, चिकित्सकों, नर्सों के बीच ईश वचन एवं कृपा की शक्ति को फैलाने हेतु बुलाये गये हैं क्योंकि सुसमाचारी प्रेम और कोमलता द्वारा रोगियों की सेवा हेतु समर्पण को अधिक मानवीय बनाया जा सकता है। माता कलीसिया हमारे हाथों द्वारा बीमारों एवं घायलों को चंगाई प्रदान करती है और अपना स्नेह प्रदर्शित करती है।

रोगियों का स्वास्थ्य माता मरियम हमारे लिए प्रार्थना करे ताकि प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति उनकी सेवा करने वालों के माध्यम से, ईश्वरीय सामर्थ्य तथा प्रेम एवं कलीसिया की ममतामय स्नेह का एहसास कर सकें।

इतना कह कर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना का पाठ समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया।

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, ″आज 8 फरवरी, काथलिक धर्मविधि के पंचांग अनुसार कलीसिया संत जोसफिन बकीता की याद करती है। वे सुडान की एक धर्मबहन थीं जिन्हें बचपन में मानव तस्करी का शिकार होना पड़ा तथा उन्हें घोर दुःख सहना पड़ा था। धर्मसमाज के अधिकारियों एवं धर्मसमाजियों के सर्वोच्च अधिकारियों के संघ ने इस दिन को प्रार्थना दिवस घोषित किया है तथा मानव तस्करी के शिकार लोगों पर चिंतन करने का निमंत्रण दिया है।

संत पापा ने प्रोत्साहन देते हुए कहा कि दासता, शोषण, दुर्व्यवहार, व्यापार तथा अत्याचार के शिकार बच्चों एवं महिलाओं की सहायता हेतु समर्पित लोगों को मैं प्रोत्साहन देता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि इस शर्मनाक बुराई को दूर करने के लिए सरकारी अधिकारी ठोस कदम उठायेगी। अपनी गरिमा के लिए अपमानित भाई-बहनों के लिए हम उनकी आवाज बनें। हम उनके तथा उनके परिवार वालों के लिए माता मरियम से प्रार्थना करें।

अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.