2015-02-06 16:13:00

दैनिक मिस्सा पाठ


शनिवार- 7.2.15

पहला पाठ- इब्रा. 13꞉15-7, 20-21

हम ईसा के द्वारा ईश्वर को स्तुति का बलिदान अर्थात् उसके नाम की महिमा करने वाले होंठों का फल-निरन्तर चढ़ाना चाहते हैं। आप लोग परोपकार और एक-दूसरे की सहायता करना कभी नहीं भूलें, क्योंकि इस प्रकार के बलिदान ईश्वर को प्रिय होते हैं। आपके नेताओं को दिन-रात आपकी आध्यात्मिक भलाई की चिन्ता रहती है, क्योंकि वे इसके लिए उत्तरदायी हैं इसलिए आप लोग उनका आज्ञापालन करें और उनके अधीन रहें, जिससे वे अपना कर्तव्य आनन्द के साथ, न कि आहें भरते हुए, पूरा कर सकें;  क्योंकि इससे आप को कोई लाभ नहीं होगा। शान्ति का ईश्वर जिसने शाश्वत विधान के रक्त द्वारा भेड़ों के महान् चरवाहे हमारे प्रभु ईसा को मृतकों में से पुनर्जीवित किया, आप लोगों को समस्त गुणों से सम्पन्न करे, जिससे आप उसकी इच्छा पूरी करें। वह ईसा मसीह द्वारा हम में वह कर दिखाये, जो उसे प्रिय है। उन्हीं मसीह को अनन्त काल तक महिमा! आमेन!  

सुसमाचार पाठ- मार. 6꞉30-34

प्रेरितो ने ईसा के पास लौट कर उन्हें बताया कि हम लोगों ने क्या-क्या किया और क्या-क्या सिखलाया है। तब ईसा ने उन से कहा, ''तुम लोग अकेले ही मेरे साथ निर्जन स्थान चले आओ और थोड़ा विश्राम कर लो''; क्योंकि इतने लोग आया-जाया करते थे कि उन्हें भोजन करने की भी फुरसत नही रहती थी। इसलिए वे नाव पर चढ़ कर अकेले ही निर्जन स्थान की ओर चल दिये। उन्हें जाते देख कर बहुत-से लोग समझ गये कि वह कहाँ जा रहे हैं। वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उधर दौड़ पड़े और उन से पहले ही वहाँ पहुँच गये। ईसा ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वह उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।  








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