2015-02-02 11:37:00

बैंगलोरः दलित ख्रीस्तीयों को मिले समान अधिकारः महाधर्माध्यक्ष


बैंगलोर, सोमवार, 2 फरवरी 2015 (ऊका समाचार): "भारतीय समाज में दलित ख्रीस्तीयों के लिये न्याय और समान अधिकार" शीर्षक से बैंगलोर में आयोजित तीन दिवसीय शिविर में, काथलिक कलीसिया से छूत-अछूत की भावना को मिटाने का आग्रह किया गया तथा कहा गया जाति के आधार पर किसी के विरुद्ध भेदभाव करना पाप है।

27 से 29 जनवरी तक, बैंगलोर स्थित भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के कार्यालय में शिविर का आयोजन किया गया था जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के 125 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष बर्नार्ड मोरास ने शिविर का उदघाटन करते हुए काथलिक कलीसिया के अन्दर एवं समाज में दलित ख्रीस्तीयों को समान अधिकार देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दलितों को समाज में समान अधिकार देकर उनकी मान मर्यादा की रक्षा करना सभी का दायित्व है।

काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की दलित समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष नीतिनाथन ने इस अवसर पर येसु मसीह के मिशन का स्मरण दिलाया जिसमें निर्धनों एवं ज़रूरतमन्दों की सेवा का पहला स्थान था। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त के अनुयायी होने के कारण समस्त ख्रीस्तीयों और, विशेष रूप से, कलीसिया का दायित्व है कि वह दलित ख्रीस्तीयों को न्याय दिलवाने के लिये आगे आये।

उक्त समिति के सचिव फादर देवसहायराज ने शिविर के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य प्रतिष्ठा, अधिकार एवं विश्वास हेतु दलित ख्रीस्तीयों के संघर्षों का पुनरावलोकन करना था। साथ ही दलित नेताओं एवं दलितों के पक्ष में काम करनेवाले पुरोहितों, धर्मबहनों एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं को एक साथ आने का मौका देना था।   

     








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