2015-02-02 11:44:00

ईश वचन की प्राथमिकता


वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थिति संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 1 फरवरी को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ येसु को प्रस्तुत करता है जो अपने शिष्यों के छोटे समुदाय के साथ

कफरनाहूम आये थे, जहाँ संत पेत्रुस रहता था। गलीलिया में उन दिनों वह सबसे बड़ा शहर था।

सुसमाचार लेखक संत मारकुस हमें बतलाते हैं कि वह शनिवार का दिन था। येसु शीघ्र सभागृह गये तथा वहाँ उन्होंने शिक्षा दी। संत पापा ने कहा कि यह ईश वचन की प्राथमिकता पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है, वचन को सुनने, उसे ग्रहण करने तथा उसकी घोषणा करने की प्राथमिकता को। कफरनाहूम पहुँचकर येसु ने पाया कि वहाँ सुसमाचार का प्रचार नहीं किया गया था अतः उन्होंने किसी अन्य आवश्यकता पर ध्यान दिए बिना अपने छोटे समुदाय में सुसमाचार का प्रचार करने लगे। उस समय उनकी पहली चिंता थी पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा सुसमाचार का प्रचार करना। सभागृह के लोग उनसे अत्यन्त प्रभावित हुए क्योंकि येसु उन्हें अधिकार के साथ शिक्षा दे रहे थे। (पद.1꞉22)

‘अधिकार के साथ’ का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है कि येसु के मानवीय शब्दों में लोगों को ईश वचन की शक्ति का एहसास हुआ, पवित्र धर्मग्रंथ से प्रेरित होकर ईश्वर के अधिकार का एहसास। संत पापा उस वचन की विशेषता बतलाते हुए कहते हैं कि वह एक ऐसा वचन है जिसका हर कथन पूरा होता है क्योंकि ईश्वर का वचन उनकी इच्छा को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि हमारे शब्दों में बहुधा खालीपन होता है उन शब्दों में गहराई नहीं होती और न ही सच्चाई निहित होती है, जबकि ईश वचन में सच्चाई होती है वह उनके विचारों के अनुरूप होती है। वास्तव में, येसु ने शिक्षा देने के तुरन्त बाद अधिकार के साथ सभागृह में उपस्थित अपदूतग्रस्त व्यक्ति को चंगा किया था। (मार.1꞉23-26) ईश्वरीय अधिकार के साथ ख्रीस्त ने उस व्यक्ति में छिपे शैतान की आवाज को पहचान लिया तथा उसे चुप रहने का आदेश देते हुए बाहर निकाला।

 

अपने शब्दों की ताकत से येसु ने अपदूतग्रस्त व्यक्ति को बुरी आत्मा से मुक्त किया। इस घटना को देख उपस्थित सब लोग चकित रह गये और आपस में कहते रहे, ''यह क्या है? यह तो नये प्रकार की शिक्षा है। वे अधिकार के साथ बोलते हैं। वे अशुद्ध आत्माओं को भी आदेश देते हैं और वे उनकी आज्ञा मानते हैं।'' (पद.27) संत पापा ने कहा कि ईश वचन हमें चकित कर देता है इसमें लोगों को आश्चर्यचकित करने की शक्ति है।

सुसमाचार जीवन का शब्द है जो लोगों पर शासन नहीं करता किन्तु बदले में उन लोगों को मुक्त करता है जो महत्वाकांक्षा, धन के प्रति प्रेम, घमंड तथा कामुकता आदि जैसे संसार की बुरी आत्माओं के वश में हैं। सुसमाचार हृदय परिवर्तन करता है, वह जीवन में परिवर्तन लाता, बुराई की ओर झुकाने के बदले अच्छाई की ओर बढ़ने का संकल्प लेने की शक्ति प्रदान करता है। सुसमाचार में लोगों को बदलने की शक्ति है। अतः ख्रीस्तीयों का कर्तव्य है कि उस मुक्तिदायी शक्ति को फैलायें, वे मिशनरी बनकर ईशवाणी का प्रचार करें।

संत पापा ने कहा कि पाठ के अंत में बतलाया गया है कि येसु की ख्याति गलीलिया के चारों ओर फैल गयी। येसु द्वारा अधिकार के साथ दी गयी नयी शिक्षा ने उनके प्रभावशाली उपस्थिति के चिन्ह के साथ कलीसिया को दुनिया में लाया। अधिकार के साथ शिक्षा देने एवं मुक्तिदायी कार्य द्वारा ईश पुत्र मिशनरी कलीसिया में मुक्ति के ‘शब्द’ तथा ‘प्रेम के चिन्ह’ बन गये।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में बदल देने की ताकत है इसे हम सदा स्मरण रखें। जब हम परिवर्तित हेतु अपने को खोल देते हैं तो सुसमाचार ही हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है।

संत पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया, ″मैं आप सभी से अनुरोध करता हूँ कि प्रत्येक दिन सुसमाचार का पाठ करें, चिंतन हेतु एक छोटा अंश लें। आप सुसमाचार की छोटी प्रति को अपने साथ हमेशा रख सकते हैं। इस प्रकार हम इस असीमित स्रोत से अपनी आत्मा को पोषित कर पायेंगे।

संत पापा ने धन्य कुँवारी मरिया से प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्होंने ‘शब्द’ को स्वीकारा और दुनिया को दिया। वे हमें एक तत्पर श्रोता तथा येसु के सुसमाचार का अधिकारिक संदेशवाहक बनने की शिक्षा देते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

उसके उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने स्कूल समिति द्वारा आयोजित चतुर्थ वर्ल्ड कांग्रेस के सदस्यों का अभिवादन किया तथा कहा, ″शिक्षा के क्षेत्र में मुलाकात की संस्कृति को प्रोत्साहन देना सभी की ज़िम्मेदारी है।″

संत पापा ने कहा कि आज इटली में जीवन दिवस मनाया जा रहा है जिसकी विषयवस्तु है ‘जीवन के प्रति एकजुटता’। मैं इस संगठन तथा मानव जीवन की रक्षा में जुटे सभी के कार्यों की सराहना करता हूँ। जब हम उदार बनते तथा दूसरों के जीवन की रक्षा करते हैं तब हम प्रेम तथा कोमलता की क्रांतिकारी शक्ति एक नये मानवतावाद का उद्घाटन करते हैं- सद्भावना एवं जीवन का मानवतावाद।

अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 








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