2015-01-31 16:07:00

कृषि की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण


वाटिकन सिटी, शनिवार, 31 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 31 जनवरी को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में, किसानों की राष्ट्रीय परिसंघ की सातवीं वर्षगाँठ पर संघ के 200 कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उन्हें प्रोत्साहन दिया।

उन्होंने कहा, ″कृषि का अर्थ है ‘बढ़ना’ जो एक सच्चा मानवीय एवं मौलिक क्रिया है। कृषक का कार्य है भूमि के मूल्यवान दान को ग्रहण करना जो ईश्वरीय वरदान है। संत पापा ने कहा कि इस कार्य में पुरूषों एवं महिलाओं के बीच समानता में वृद्धि करने की आवश्यकता है। ईश्वर द्वारा प्राप्त खेती-बारी और देखरेख करने के आदेश को पूरा करना है। (उत्प. 2,15)

संत पापा ने कहा कि खेती करने की क्रिया कृषक द्वारा अपने खेत की देखभाल करने की मांग करता है क्योंकि भूमि फल उत्पन्न करती तथा उसे बांटती है जिसे प्राप्त करने हेतु एकग्रता, परिश्रम और समर्पण की आवश्यकता होती है।

संत पापा ने ग़ौर किया कि बिना खेती के पृथ्वी पर मानव जीवन संभव नहीं है। बिना पौष्टिक भोजन के मानव का जीवित रहना असंभव है इस कारण कृषि की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जो खेती करने का काम करते हैं उदारता पूर्वक अपना समय और श्रम अर्पित करते हैं यही एक सच्चे कृषक की बुलाहट है। अतः इसे पहचाना तथा महत्व दिया जाना चाहिए जबकि नयी पीढ़ी द्वारा कई बार इसे अरूचिकर कार्य समझा जाता है।  

संत पापा ने कृषक कार्य की महत्ता पर चिंतन करते हुए दो विशेष क्षेत्रों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया। पहला ग़रीबी और कुपोषण जो मानव के एक बड़े समूह को प्रभावित करता है। द्वितीय वाटिकन महासभा पृथ्वी पर भौतिक चीजों के विश्वव्यापी लक्ष्य बतलाते हुए कहती है कि आर्थिक सम्पति का अधिकार उनके उचित प्रयोग से आता है। खाद्य पदार्थों के संबंधों में पूर्ण बाजार की नीति तथा नष्ट करने की संस्कृति स्वीकार्य नहीं है क्योंकि उनके कारण कई परिवारों को तनाव उत्पन्न होता है। संत पापा ने कहा कि खाद्य पदार्थों के उत्पादन एवं वितरण की प्रणाली पर हमें पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

संत पापा ने दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्र के बारे में कहा कि उत्पति ग्रंथ में ईश्वर ने कहा कि मानव का कार्य न केवल खेती करना किन्तु उसकी रक्षा करना भी है। वास्तव में, इन दोनों के बीच गहरा संबंध है। सभी कृषक यह भलीभाँति जानते हैं कि मौसम में परिवर्तन से उन्हें खेती करने में कितनी कठिनाई हेती है। किसानों के लिए यह बड़े चिंता का विषय है कि आबादी में अत्यधिक वृद्धि के कारण पर्यावरण परिवर्तन की जोखिम के साथ शुद्ध भोजन का उत्पादन किस प्रकार किया जाए। अतः राष्ट्रों को मिलकर प्रकृति की देखभाल हेतु पहल करना चाहिए।

आज चुनौती है कि किस प्रकार कृषि पर्यावरण को फेंडली बनाया जाए? किस प्रकार खेतों की उत्पादकता को बरक़रार रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ी उस पर खेती करते हुए जीवन यापन कर सके।

संत पापा न कहा कि इन सवालों के जवाब में यही कहा जा सकता है कि भूमि को माता के रूप में प्यार कर उसकी रक्षा की जा सकती है।

संत पापा ने कृषक कार्यकर्ता के प्रतिनिधियों से कहा कि कलीसिया में कृषकों की प्रेरिताई हेतु काथलिक समाजिक शिक्षा से प्रेरित होकर, उसके अनुसार कार्य करने द्वारा समस्त इटली में कई अच्छे फल देखने को मिल रहे हैं। संत पापा ने प्रार्थना की कि खेती-बारी और देखरेख करने के कार्य को वे अच्छी तरह कर सकें।

 








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