2015-01-29 15:27:00

ईश्वर की इच्छा जानने हेतु हमें प्रार्थना करनी चाहिए


वाटिकन स्थिति प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में कहा कि ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करने के लिए माता मरियम के समान ईश्वर की इच्छा के प्रति उदार एवं आज्ञाकारी हृदय होने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर की इच्छा को पूरी करने की चाह पाने हेतु क्या मैं प्रार्थना करता हूँ या क्या मैं अपने आप से समझौता कर लेता हूँ क्योंकि ईश्वर की इच्छा पूरी करने में मुझे भय लगता है? ″

संत पापा ने प्रोत्साहन दिया कि खुद तथा खुद के जीवन के प्रति ईश्वर की इच्छा जानने हेतु प्रार्थना करें।

संत पापा ने कहा कि प्रार्थना में सर्वप्रथम, ईश्वर की इच्छा जानने हेतु प्रार्थना करनी चाहिए उसके बाद उस इच्छा को पूरा करने की चाह के लिए तथा अंततः उनका अनुसरण करने के लिए।

उन्होंने कहा कि प्रार्थना करना इसलिए अनिवार्य है क्योंकि हमें उस कार्य को पूरा करना पड़ता है जो हमारी चाह के अनुसार नहीं है अतः वह आसान भी नहीं होता है।

संत पापा ने इब्रानियों के पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ कहा गया है कि ईश्वर को होम बलि से बढ़कर हृदय की उदारता पसंद है।

उन्होंने कहा, ″हमारे आदि माता-पिता आदम और हेवा के आज्ञाभंग से हुए पाप के कारण समस्त मानव जाति में पाप का जन्म हुआ।″

संत पापा ने कहा, ″स्वर्ग राज्य जाने हेतु आज्ञापालन के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है। यह आज्ञापालन स्वर्ग में विराजमान येसु द्वारा पिता की आज्ञा का पालन और पृथ्वी पर धन्य कुँवारी मरियम द्वारा ईश्वर की इच्छा पूरी करते पर आरम्भ हुई है।

माता मरियम ने स्वर्गदूत का संदेश पाकर ईश्वर को हाँ कहा और जीवन भर उसका पालन किया।

संत पापा ने ग़ौर किया कि यह आज्ञापालन आसान नहीं है यहाँ तक कि येसु को भी परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ा। चूँकि आज्ञापालन में येसु के लिए भी परीक्षा हुई, हमारे लिए तो और भी कठिन है अतः ईश्वर की इच्छा जानने के लिए हमें प्रार्थना करने की अति आवश्यकता है।

संत पापा ने प्रार्थना की कि हम ईश्वर की इच्छा पूरी करते हुए उनके परिवार के सदस्य बन सकें।

 

 

 








All the contents on this site are copyrighted ©.