2015-01-27 11:29:00

विश्वास के हस्तान्तरण में महिलाओं की भूमिका अहं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 27 जनवरी 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि जिस प्रकार मरियम ने येसु को विश्व के समक्ष अर्पित किया था उसी प्रकार महिलाएँ विश्वास को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित करती रहती हैं।

सोमवार, 26 जनवरी को वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने सुसमाचार उदघोषणा में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

तिमोथी के नाम सन्त पौलुस के दूसरे पत्र पर सन्त पापा ने चिन्तन किया जिसमें सन्त पौल तिमोथी के निष्कपट विश्वास की याद कर कहते हैं "वह विश्वास पहले तुम्हारी नानी लोइस तथा तुम्हारी माता यूनीके में विद्यमान था और मुझे विश्वास है, अब तुम में भी विद्यमान है।"

सन्त पापा ने कहा, "विश्वास को हस्तान्तरित करना एक बात है तथा विश्वास के बारे में शिक्षा देना एक अन्य बात। विश्वास एक वरदान है जो अध्ययन द्वारा सीखा नहीं जा सकता।" उन्होंने कहा कि हालांकि हम समझने के लिये विश्वास की विषय वस्तु का अध्ययन करते हैं तथापि, अध्ययन द्वारा हृदय में विश्वास उत्पन्न नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, "विश्वास पवित्रआत्मा का वरदान है, यह माताओं एवं नानियों का सुन्दर कार्य है और कभी कभी तो यह एक मौसी अथवा घर की नौकरानी से मिल सकता है। यह विचार करने का आवश्यकता है कि क्या आज की महिलाएँ विश्वास के हस्तान्तरण सम्बन्धी अपने दायित्व के प्रति सचेत हैं?"

सन्त पापा ने कहा कि विश्वास का वरदान पा लेनेवालों को विश्वास को बरकरार रखने के लिये भी सतत् प्रयास करते रहना चाहिये ताकि हमारा विश्वास अर्थहीन सांसारिक बकवाद में न बदल जाये। इसके लिये उन्होंने प्रतिदिन सतत् प्रार्थना और ईश वचन पर चिन्तन का आग्रह किया।     

 

 








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