2015-01-26 15:53:00

ख्रीस्तीयों की एकता, ईश्वर की प्यास


वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 25 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ गलीलिया में येसु द्वारा सुसमाचार प्रचार की शुरूआत को प्रस्तुत करता है। संत मारकुस यहाँ स्पष्ट करते हैं कि योहन बपतिस्ता के गिरफ्तार किए जाने के बाद ही येसु ने सुसमाचार प्रचार करना आरम्भ किया। (1.14) योहन बपतिस्ता की ईश राज्य के आगमन की भविष्यवाणी राजा हेरोद द्वारा जैसे ही कुचल दी गयी वैसे ही, येसु ने अपनी जन्म भूमि में घूमना शुरू किया जिससे कि वे लोगों को एकत्र कर सकें, विशेषकर, गरीबों को।″

संत पापा ने कहा कि येसु का सुसमाचार प्रचार संत योहन बपतिस्ता ही के समान था किन्तु उसमें फर्क सिर्फ इतना ही था कि येसु ने किसी और के आने की बात नहीं की क्योंकि येसु स्वयं प्रतिज्ञाओं की पूर्णता है। वे ही सुसमाचार हैं जिनपर हमें विश्वास करना और उन्हें स्वीकारते हुए लोगों के बीच बांटना है जिससे कि वे भी उनपर विश्वास कर सकें। येसु ख्रीस्त स्वयं जीवित वचन हैं तथा इतिहास में क्रियाशील हैं जो उन्हें सुनता और उनका अनुसरण करता वह ईश्वर के राज्य में प्रवेश करता है।

संत पापा ने कहा, ″येसु ने ईश्वर की प्रतिज्ञा को पूरा किया क्योंकि उन्होंने ही पवित्र आत्मा का वरदान हमें प्रदान किया है। वे ‘जीवन जल’ हैं जो हमारे हृदय की प्यास बूझाती है वह हमारी परेशानी, जीवन की अवश्यकताओं, प्यार, स्वतंत्रता, शांति तथा ईश्वर को पाने की प्यास को तृप्त करती है।  

संत पापा ने कहा कि हम कई प्रकार के प्यास को अपने हृदय में महसूस करते हैं। येसु भी प्यासे थे जिसे उन्होंने समारी स्त्री के सामने प्रकट किया था। याकूब के कुवें के पास समारी स्त्री से मिलकर येसु ने कहा था, ″मुझे पानी पिला दो।″(यो. 4.7) संत पापा ने कहा कि समारी स्त्री को येसु द्वारा कहे गये ये शब्द, ख्रीस्तीय एकता अठवारे की विषयवस्तु है जिसका समापन आज होगा। आज संध्या रोम धर्मप्रांत के विश्वासियों, विभिन्न कलीसियाओं के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के साथ मैं संत पौलुस महागिरजाघर में उपस्थित होऊँगा तथा हम एक साथ मिलकर, सभी ख्रीस्त विश्वासियों की पूर्ण एकता हेतु विशेष प्रार्थना अर्पित करेंगे।

यह अच्छी बात नहीं है कि ख्रीस्तीय विभाजित हैं। येसु हमें एकजुट देखना चाहते हैं। हम हमारे पापों के कारण विभाजित हो गये हैं। इस विभाजन को दूर करने के लिए हमें प्रार्थना करने की आवश्यकता है जिससे कि पवित्र आत्मा हमें पुनः एकता के सूत्र में बाँध दे।

ईश्वर ने मानव रूप धारण किया, हमारे समान प्यास का अनुभव किया न केवल भौतिक पानी की प्यास किन्तु जीवन की प्यास, बुराई तथा मृत्यु के बंधन से मुक्त जीवन की प्यास। नाजरेथ के येसु द्वारा ईश्वर ने शरीरधारण कर अपनी प्यास को प्रकट किया क्योंकि ईश्वर को भी प्यास लगती है। वे प्यासे हैं हमारे हृदय एवं प्यार के लिए तथा वे उस प्यास को येसु द्वारा प्रकट करते हैं। इस प्रकार येसु के हृदय में मानव की प्यास और ईश्वर की प्यास दोनो है। उन्हें अपने शिष्यों को एकता के सूत्र में बांधने की प्यास है जिसका जिक्र वे अपने दुःखभोग के पूर्व पिता से प्रार्थना करते समय करते हैं।(यो.17.21) अतः येसु को हमारी एकता की चिंता है।

संत पापा ने कहा कि बुराई विभाजन का पिता है जो हमेशा अलगाव लाता है, जो युद्ध कराता तथा बहुत अधिक दुःख उत्पन्न करता है। अतः आज येसु की प्यास हमारी प्यास बन गयी है इसलिए हम प्रार्थना करना जारी रखें तथा ख्रीस्त के सभी चेलों की पूर्ण एकता की ओर बढ़ें। यह विश्वास करते हुए कि वे स्वयं हमारे साथ हैं तथा अपनी आत्मा के वरदानों द्वारा हमें पोषित करते हैं जिससे कि हम इस उद्देश्य को प्राप्त कर सकें। हम अपनी प्रार्थना ईश्वर तथा कलीसिया की माता धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर को समर्पित करते हैं क्योंकि वे एक भली माता की तरह हमें एक साथ मिलाती हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने यूक्रेन में शांति की अपील की। उन्होंने कहा, ″पूर्वी यूक्रेन में बढ़ रहे युद्ध से मैं बहुत चिंतित हूँ क्योंकि इसके कारण आम जनता हताहत हो रही है। युद्ध से पीड़ित आप सभी के लिए प्रार्थना करते हुए शांति हेतु मैं अपनी हार्दिक अपील दोहराता हूँ। वार्ता द्वारा ही शांति स्थापित की जा सकती है तथा युद्ध के सभी गतिविधियों का अंत संभव है।

शांति की अपील के बाद संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम ‘विश्व कोढ़ दिवस’ मना रहे हैं। इस बीमारी से ग्रसित सभी लोगों को मैं अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ और जो उनकी सेवा में संलग्न हैं अथवा रोग के निवारण हेतु प्रयासरत हैं उन्हें धन्यवाद देते हुए उनके प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करता हूँ।

उसके पश्चात संत पापा ने इटली तथा अन्य देशों से आये तीर्थ यात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने रोम में रह रहे फिलीपींस वासियों का अभिवादन किया। उन्होंने उनके दृढ़ तथा आनन्दपूर्ण विश्वास के साक्ष्य हेतु धन्यवाद दिया। संत पापा ने कहा, ″परिवार से दूर रहने पर भी ईश्वर आप को सम्भालते हैं। आपके साक्ष्य के लिए धन्यवाद। हमारी भलाई हेतु आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए भी शुक्रिया। आप विश्वास का सुन्दर साक्ष्य इसी प्रकार देते रहें।″  

संत पापा ने रोम के विभिन्न पल्लियों से शांति की क़ाफ़िला के युवक-युवतियों का अभिवादन किया तथा उन्हें ख्रीस्तीय पथ पर आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहन दिया। उनके प्रत्युत्तर में दल ने गुब्बारा उड़ा कर शांति का समर्थन किया।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।

 








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